दिवाली एक ऐसा मौका होता है जब लोग एक-दूसरे को गिफ्ट्स देने और पटाखे जलाने के अलावा ढेर सारे पकवान खाते भी हैं और खूब मस्ती भी करते हैं। अपनी फिटनस को लेकर हमेशा ही सजग दिखने वाले लोग भी इस दिन अपना स्ट्रिक्ट डायट अनफॉलो कर देते हैं और तले-भुने पकवानों पर टूट पड़ते हैं। वे जाने-अनजाने खूब फैट और शुगर कन्ज्यूम कर लेते हैं।




लेकिन असली परेशानी शुरू होती है दिवाली के बाद। उस दिन आपने जो भी खाया-पीया उसका असर बाद में दिखता है। त्योहार के बाद लोग नॉर्मल रुटीन में आने की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। ऐसे में यहां कुछ टिप्स बताए जा रहे हैं जो आपके काम आएंगे।


सायकायट्रिस्ट डॉ. वानी शरन के अनुसार, दिवाली के बाद भी लोगों को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के टच में रहना चाहिए। इसके अलावा वे अपनी कोई पसंदीदा हॉबी का अनुसरण कर सकते हैं। एक्सर्साइज कर सकते हैं ताकि त्योहार के दिन जो भी तलाभुना खाया है वह सब बर्न होकर शरीर से बाहर निकल सके।



डायटिशन पाल्की चोपड़ा के अनुसार, त्योहारों के मौके पर लोग तलीभुनी चीजें, शुगर और शराब अत्यधिक मात्रा में ले लेते हैं। माना कि पकवान और तली-भुनी चीजें त्योहारों का एक अहम हिस्सा होती हैं लेकिन आप इस सच को नहीं नकार सकते हैं कि यह सेहत के लिए नुकसानदायक होती हैं। इसलिए बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए लोगों ने अपनी दिनचर्या में छोटे-मोटे बदलाव करने की जरूरत है। इसके लिए दिन की शुरुआत 1 गिलास गर्म पानी या फिर लेमन ग्रीन टी से करें। दिन पर पानी पीते रहें ताकि शरीर में नमी बरकरार रहे। दिन में रोजाना कम से कम 8 गिलास पानी पिएं।'


डॉ. चोपड़ा ने आगे कहा, 'कुछ हफ्तों तक गाजर, मूली, खीरा और टमाटर के साथ ढेर सारा सलाद खाएं। डिब्बाबंद चीजें जैसे कि चिप्स, नमकीन और केक जैसी चीजें बिल्कुल भी न खाएं। साथ ही खूब ड्राई फ्रूट्स भी खाएं।'चेस्ट इंस्टिट्यूट ऐंड रेस्पिरेटरी मेडिसिन पारस हॉस्पिटल के चीफ डॉ. अरुणेश कुमार के अनुसार, इन सभी के बीच सांस सबंधी परेशानियों से ग्रस्त लोगों को खास ध्यान रखने की जरूरत है। सिर्फ अस्थमा के मरीज ही नहीं बल्कि आम लोगों को भी खास ध्यान रखने की जरूरत है। दिवाली के दौरान इस्तेमाल होने वाले पटाखों में लेड, कॉपर, जिंक, मैंगनीज, सोडियम और पोटेशियम जैसे केमिकल्स भारी मात्रा में होते हैं। अगर इनकी मात्रा वायु में बढ़ जाती है तो इससे मरीज में अस्थमा का अटैक आ सकता है, तेज सिरदर्द के अलावा सांस संबंधी अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं।'



पटाखों के जलने से जो जहरीले तत्व हवा में घुलते हैं वे सामान्य वायु प्रदूषण से एकदम अलग होते हैं। इनसे न सिर्फ वायु की गुणवत्ता खराब होती है बल्कि एक आम आदमी का भी सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसलिए लोग कोशिश करें कि ज्यादा धुएं वाली जगहों पर न जाएं। गुणगांव स्थित कोलंबिया एशिया अस्पताल के पलमोनॉलजिस्ट डॉ. पीयूष गोयल का कहना है कि लोगों को अच्छी क्वॉलिटी का मास्क पहनना चाहिए और पर्याप्त मात्रा में लिक्विड पीना चाहिए।



जब भी सांस लेने में दिक्कत हो तो गर्म पानी में लैवेंडर ऑइल डालकर स्टीम लें इससे न सिर्फ सारी ब्लॉकेज दूर हो जाएगी बल्कि स्ट्रेस भी दूर होगा। तेज म्यूजिक या फिर पटाखों की आवाज से अगर सांस लेने में तकलीफ हो तो फिर छाती और कमर पर गर्म पानी का बैग रखें। काफी आराम मिलेगा।

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