श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल किए गए युगपुरुष स्वामी परमानंद जी महाराज ने गुरुवार को मवईधाम में कहा कि ट्रस्ट में लोगों को सोच समझकर शामिल किया गया है। उन्होंने यह भी इच्छा जताई कि प्रभु श्रीराम के गगनचुंबी भव्य मंदिर का निर्माण भी प्रभु के दिन रामनवमी से ही शुरू हो।
मूलरूप से जिले के मवईधाम निवासी स्वामी परमानंद जी महाराज ने गुरुवार को अपना समय मवईधाम में बिताया। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण आंदोलन से शुरू से ही जुड़े रहे, लेकिन कभी कल्पना नहीं की थी कि उन्हें ट्रस्ट में शामिल किया जाएगा। सपने में भी नहीं सोचा था, लगता है परमात्मा ने चाहा है। देश का पुराना गौरव जो हजारों साल पहले था पुन: स्थापित होने जा रहा है।
जैसे राम ने तरह-तरह के सभी लोगों को इकठ्ठा किया था, उसी प्रकार रामकाज के लिए सभी लोग इकठ्ठा हो रहे हैं। सभी इस निमित्त कार्य को करेंगे, तो भारत विश्व गुरु बनेगा। कहा कि कभी-कभी उन्हें लगने लगता था कि कहीं राम मंदिर निर्माण की बात राजनीति ही तो नहीं है। प्रश्न होते थे, आंदोलन चुनाव के समय पर ही क्यों होते हैं, तो उत्तर देना मुश्किल हो जाता था। अंदर की सच्ची कामना साकार होती है तो खुशी मिलती है।
इतना तो विश्वास था कि विहिप, आरएसएस राष्ट्रहित के विपरीत नहीं जा सकते। ट्रस्ट में सब बैठेंगे, बातचीत होगी। भव्य मंदिर का मॉडल तो वहीं रहना चाहिए। प्रस्तावित मॉडल ही सारे समाज को दिखाया गया है। गगनचुंबी होगा, विशेष होगा। पत्थर वही होंगे जो तराशे गए हैं। अस्सी प्रतिशत तो काम हुआ पड़ा है। मशीनें हैं, रखती चली जाएंगी।
स्वामी परमानंद ने कहा कि कई लोग कहते थे कि महात्मा हो भजन करो, मंदिर हृदय की इच्छा थी, राजनीति नहीं थी। यदि राजनीति होती तो हम कब का हट जाते। जब शिलापूजन करते थे तो अक्सर देर रात हो जाती थी। सुबह से फिर जुट जाते थे सभी। देशहित में बहुत काम किया। सच तो यह है कि असफलता में दुख तो जरूर होता है पर उपरांता नहीं।
मैं तो मोहम्मद गोरी से प्रेरणा लेता हूं कि वह कई बार हारा लेकिन लगा रहा। उपरांता नहीं हुआ। स्वामी ने कहा कि आंदोलन से जुड़ने का प्रेरक तो मुख्य विहिप है, इच्छाएं हमारी रहीं। विश्वामित्र की इच्छा व राम, लक्ष्मण का सहयोग है। विहिप लक्ष्मण, आरएसएस राम और हम लोग विश्वामित्र की भूमिका में हैं।