नयी दिल्ली। लोक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए गए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर संगीन आरोप लगाए गए हैं। पीएसए डोजियर में दोनों नेताओं के हिरासत की वजह यह बताई गई है कि 49 वर्षीय उमर ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन की पूर्व संध्या पर अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाने को लेकर भीड़ को उकसाने का काम किया था। 
 
 
उमर ने इस फैसले के खिलाफ सोशल मीडिया पर भी लोगों को भड़काया था, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी। हालांकि, डोजियर में उमर के सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र नहीं है। वहीं, उमर की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और 60 वर्षीय पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर राष्ट्रविरोधी बयान देने और जमात-ए-इस्लामिया जैसे अलगाववादी संगठनों को समर्थन देने का आरोप लगाया गया है। इस संगठन पर गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत पाबंदी लगाई गई है।

 
हालांकि, डोजियर में 2009-14 के दौरान मुख्यमंत्री रहे उमर की तारीफ करते हुए यह भी कहा गया है कि उनका लोगों पर खासा असर है और अलगाववादियों द्वारा चुनाव का बहिष्कार किए जाने के बावजूद उनमें वोटरों को आकर्षित करने और किसी मकसद के लिए उनमें लोगों को जुटाने की क्षमता है।

 
पुलिस द्वारा तैयार किए गए डोजियर में कहा गया है कि उमर आतंकवाद के दौर में बड़ी संख्या में वोटरों को मतदान के लिए प्रेरित करने में माहिर हैं। पुलिस ने उमर और महबूबा को पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले के बाद ही हिरासत में ले लिया गया था। दोनों को बीते छह फरवरी को पीएसए के तहत में उस वक्त हिरासत में लिया गया, जब हिरासत की छह माह की अवधि खत्म हो रही थी।
 
उमर ने कहा था...तो भारत में विलय पर छिड़ेगी बहस
 
हरी निवास में हिरासत में लेकर जाने से पहले उमर ने आखिरी कुछ ट्वीट किए थे, जो इस प्रकार हैं...कश्मीर के लोगों के लिए, हम नहीं जानते कि हमारे लिए क्या है...सुरक्षित रहें और इन सबसे ऊपर कृपया शांत बने रहें। हालांकि, कहा यह भी जा रहा है कि डोजियर में उमर के उस बयान का भी हवाला दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 समाप्त करने या इसमें बदलाव से जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ जाएगी।
 
महबूबा ने कहा था, 370 से छेड़छाड़ बारूद को हाथ लगाने के बराबर
 
वहीं, डोजियर में महबूबा के जुलाई 2019 को दिए भाषणों का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 व 35ए से छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर होगा। जो हाथ छेड़छाड़ के लिए उठेंगे, वह हाथ ही नहीं, सारा जिस्म जलकर राख हो जाएगा। एक अन्य भाषण में महबूबा ने कहा था कि अनुच्छेद-370 की समाप्ति पर जम्मू कश्मीर में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं होगा।
 
शेख अब्दुल्ला के लागू किए कानून में फंसे फारूक
 
उमर के पिता और पांच बार मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्ला को बीते साल सितंबर में ही पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था। यह कानून फारूक के पिता शेख अब्दुल्ला ने 1978 में लकड़ी के तस्करों से निपटने के लिए लागू किया था। दरअसल, ये तस्कर उन दिनों आसानी से हिरासत से कम दिनों में ही छूट जाते थे। शेख अब्दुल्ला तब यह कानून इसलिए लाए कि बिना मुकदमे के लकड़ियों के तस्करों को दो साल तक के लिए जेल भेजा जा सके। 

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