हमारे देश में हिन्दू प्रधान लोग ज्यादा हैं और ऐसे में हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए नवरात्रि प्रमुख त्योहारों में से एक है, इसे दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता हैं। नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अलग-अलग दिनों में की जाती हैं, ऐसा माना जाता हैं कि माँ की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वास होता हैं। इसलिए लोग नवरात्रि के दिनों में माँ की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना करते हैं। इतना ही नहीं जगह-जगह पर पूजा पंडाल बनाकर माँ की बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं और फिर दशमी के दिन उनका विसर्जन किया जाता हैं। ऐसे में आइए बंगाल में खेले जाने वाले सिंदूर खेले के बारे में जानते हैं।


सिंदूर खेला


सुहागिन महिलाएं माँ दुर्गा को सिंदूर लगाती हैं
शास्त्रों में नवरात्रि के बारे में कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यदि आप उन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आपको इसका सजा भुगतना पड़ सकता हैं| इसलिए इन मान्यताओं के हिसाब से माँ की पूजा-अर्चना करते हैं ताकि उनके घर की सुख-शांति सदैव बरकरार रहे। दरअसल भारत के बंगाल राज्य में नवरात्रि बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं और नवरात्रि के दशमी तिथि को सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं, जिसे सिंदूर खेला कहा जाता हैं। बंगाल में यह प्रथा काफी लंबे समय से चली आ रही हैं और आज भी लोग इस खेलें को बड़े ज़ोर-शोर से खेलते हैं।


सिंदूर महिलाओं के सुहाग की निशानी मानी जाती हैं
ऐसी मान्यता हैं कि माँ दुर्गा साल में एक बार अपने मायके पाँच दिनों के लिए आती हैं और इसी दिन को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता हैं। इतना ही नहीं ऐसा भी कहा जाता हैं कि जब माँ मायके से अपने ससुराल के लिए जाती हैं तो उनका मांग सिंदूर से भरा जाता हैं, साथ में माँ को पान और मिठाई भी खिलाई जाती हैं। सिंदूर का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व हैं, यह सुहागिन महिलाओं के सुहाग का प्रतीक माना जाता हैं और सिंदूर ही माँ दुर्गा के शादीशुदा होने का प्रतीक माना जाता हैं, इसलिए बंगाल में सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर यह खेल खेलती हैं।



सुहाग की कामना
ऐसी भी मान्यता हैं कि नवरात्रि की दशमी तिथि को सुहागिन महिलाएं मूर्ति विसर्जन के समय सुहाग और खुशहाली के लिए एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। इसके साथ भी ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिन विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर माँ दुर्गा के फेयरवेल के रूप में मनाती हैं।

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