शरद पवार एनसीपी अध्यक्ष ने अपनी अब तक की इमेज के बिलकुल उलटी भूमिका अपना ली है| पवार एट्रोसिटी कानून में सुधार की मांग कर रहे हैं| पिछले कुछ महीनों में पवार के संवाददाता सम्मेलनों में यह विषय प्रमुखता से रहा है| शरद पवार अब तक अपने आपको हमेशा पिछड़ों के हितैषी के रूप में पेश करते रहे थे| औरंगाबाद में रविवार को हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवार से जब पूछा गया कि एट्रोसिटी कानून को लेकर उनका क्या कहना है?
इस पर उन्होंने कहा कि 'अगर सवर्ण समाज के गुस्से का कारण एट्रोसिटी का कानून दिखता है और उसमें कुछ गलत है तो सुधार होना चाहिए|' पवार से यह सवाल अहमदनगर के कोपर्डी में हुए महिला अत्याचार के सिलसिले में किया गया था| कोपर्डी में एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और निर्मम हत्या के बाद महाराष्ट्र में जगह-जगह मोर्चे निकल रहे हैं|
कोपर्डी मामले में आरोपी दलित हैं| इसके विरुद्ध जारी आंदोलनों को मराठा क्रांति मोर्चा का नाम दिया गया है| महाराष्ट्र की शासक जमात मराठा के प्रतिनिधि इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं| पवार ने कहा है कि 'अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम में बदलाव हो|' पवार का यह एट्टीट्यूड मराठाओं को एनसीपी से जोड़ने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है|
लेकिन इस विषय पर न कांग्रेस पवार के साथ है न अन्य वे विपक्षी दल जो, कभी पवार के साथ थे| कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री नसीम खान ने कहा कि 'एट्रोसिटी कानून दलितों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के साथ उस समाज में सुरक्षा की भावना लाता है, उसे हटाना ठीक नहीं होगा|'