नयी दिल्ली। देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बीते सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश करने के बाद से देश के कई राज्यों में इसका विरोध किया जा रहा है। इसी बीच 11 दिसंबर को राज्यसभा से भी नागरिकता संशोधन बिल को पास कर दिया गया। इस दौरान पक्ष में 125 वोट पड़े वहीं विपक्ष में 99 मत पड़े। लोकसभा और राज्यसभा से बिल के पास होने के बाद देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी सिटिजनशिप (अमेंडमेंट) बिल (सीएबी) को अपनी मंजूरी दे दी है। गुरुवार देर रात राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह बिल कानून बन गया है।
ANI न्यूज एजेंसी की खबर के अनुसार राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बिल पर साइन कर दिया है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब नागरिकता कानून, 1955 में संबंधित संशोधन हो गया। इससे तीन पड़ोसी इस्लामी देशों- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत की शरण में आए गैर-मुस्लिम धर्मावलंबियों को आसानी से नागरिकता मिल सकेगी।
बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल को लेकर देश के कई हिस्सों में जबरदस्त विरोध की लहर उठी है। इस बिल का सबसे प्रबल विरोध असम में देखा जा रहा है। असम के अधिकांश हिस्सों में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के खिलाफ कई दिनों से हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गुरुवार को राज्य के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। सोनोवाल ने यहां एक बयान में कहा, 'मैं असम के लोगों को उनकी पहचान के संबंध में पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने का आश्वासन देता हूं।'
बता दें कि सोमवार को लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद से असम में स्थिति तनावपूर्ण है। ऐसे में बुधवार को राज्यसभा से बिल पास होने के बाद सूबे में सुरक्षा के लिहाज से 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया था, लेकिन प्रदेश में स्थिति के मिजाज को देखते हुए इसे 48 घंटों के लिए और बढ़ा दिए गया है।
click and follow Indiaherald WhatsApp channel