उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में डॉक्टरों ने दवाओं से 'भूत' भगाना शुरू कर दिया है। कथित भूतप्रेत ग्रस्त मरीज जिन मंदिरों-मजारों पर पहुंचते हैं, वहीं मनोचिकित्सकों की ओपीडी शुरू हो गई है। जिन 'भूतों' पर तांत्रिकों-ओझाओं का जोर नहीं चलता, उन्हें दवाओं से ठीक करने की कोशिश हो रही है। फिलहाल तीन मजारों और दो मंदिरों पर साप्ताहिक या पखवाड़े की ओपीडी चालू है। इसमें शीजोफ्रेनिया, बाइपोलर डिप्रेशन, ट्रांसपेरेशन सिंड्रोम, मीनिया के 120 मरीज चिन्हित हुए हैं। उनका इलाज हो रहा है।


दुआ से दवा तक अभियान की पहलअशिक्षित और गरीब वर्ग में तमाम मानसिक रोगियों को भूतप्रेत बाधा से ग्रस्त समझ कर लोग झाड़-फूंक कराते हैं। ऐसे रोगियों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 'दुआ से दवा तक' अभियान शुरू किया है। इसमें उन मजारों को शामिल किया है, जहां भूत-प्रेत उतारने की परंपरा है। इन स्थानों पर मानसिक रोगियों को भूतग्रस्त समझकर परिवार के लोग ही लाते हैं। तांत्रिक भूत भगा कर मरीज को ठीक करने का दावा करते हैं। कहीं-कहीं भूत उतारने के नाम पर मरीजों को यातनाएं तक  दी जातीं हैं।


'दुआ से दवा तक' अभियान में मनोचिकित्सक उन्हीं जगहों पर जाकर इलाज कर रहे हैं, जहां झाड़फूंक होता है। इसके लिए मंदिरों-मजारों पर जिला अस्पताल का मनोचिकित्सा विभाग विशेष क्लीनिक चला रहा है। ओपीडी चला रहे साइकियाट्रिस्ट डॉ. अमित शाही और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. रामेन्द्र त्रिपाठी बताते हैं, 'अभियान के तहत सबसे पहले हम ऐसे स्थानों पर काम कर रहे तांत्रिक-ओझा को भरोसे में लेते हैं। हम उनके काम में बाधा डाले बिना कहते हैं कि जो मरीज आपसे ठीक न हों, उन्हें क्लीनिक में लाएं। हम कोशिश करेंगे। हम मजार परिसर में ही अस्थायी क्लीनिक बनाते हैं। अब तांत्रिक मरीज रेफर करने लगे हैं। फिलहाल पांच स्थानों पर हम 120 मरीजों का इलाज कर रहे हैं।' हर मजार में हफ्ते या महीने का कोई न कोई दिन भूत उतारने के लिए तय है। क्लीनिक उसी दिन संचालित होता है। गोरखपुर के प्रसिद्ध नक्कोशाह बाबा मजार पर गुरुवार, जबंग बाबा मजार पर शुक्रवार को झाड़-फूंक होता है। यहां उसी दिन क्लीनिक चलाया जा रहा है।


यह है साइकियाट्रिक टीम

साइकियाट्रिस्ट डॉ. अमित शाही, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. रामेन्द्र त्रिपाठी, साइकियाट्रिक सोशल वर्कर संजीव कुमार, साइकियाट्रिक नर्स विष्णु शर्मा और कम्यूनिटी नर्स प्रदीप।


ये तीन स्थान चुने

नक्कोशाह बाबा की मजार, नार्मल स्थित आस्थान बाबा हजरत दरगाह और कैथवलिया का जबंग बाबा स्थान।

जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ.अमित शाही ने बताया कि मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों के व्यवहार को लोग अंधविश्वास के कारण भूत बाधा समझ लेते हैं। किसी को दौरे पड़ते हैं, कोई निरर्थक बातें बड़बड़ाता है। कुछ लोग आक्रामक हो जाते हैं। यह मनोरोग हैं। इनमें मरीज अपनी परेशानी नहीं बता पाते। तंत्र-मंत्र से नहीं, दवाओं से ही इनका उपचार हो सकता है। अब तक हुई जांच में ज्यादातर मरीज शीजोफ्रेनिया, मीनिया, बाइपोलर डिप्रेशन, ट्रांसपेरेशन सिंड्रोम के मिले हैं।

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