भारतीय कंपनी सचिव संस्थान के कंपनी सचिव (सीएस) पाठ्यक्रम में अब सीधे पंजीकरण यानी दाखिले के नियम को खत्म कर दिया गया है। संस्थान ने इसी माह में संशोधन कर इस नियम को खत्म किया है। अब दाखिले के लिए हर छात्र को प्रवेश परीक्षा देनी ही होगी। वहीं संस्थान ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी बड़ा बदलाव किया है।

 

 

 

लखनऊ चैप्टर के चेयरमैन मनीष कुमार मिश्रा ने बताया कि पहले इंटर उत्तीर्ण छात्रों को फाउंडेशन कार्यक्रम को उत्तीर्ण करने के बाद ही सीएस के एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम करने की अनुमति मिलती थी। पंजीकरण और परीक्षा के माह के बीच करीब नौ महीने का अंतराल होता था। वहीं स्नातक उत्तीर्ण छात्रों को सीधे एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम में दाखिला मिल जाता था। उन्होंने बताया कि संस्थान ने अब इन दोनों नियमों को हटा दिया है।

 

 



अब छात्रों को कंपनी सेक्रेटरी एक्जीक्यूटिव एंट्रेंस टेस्ट (सीएसईईटी) देना होगा। चाहे इंटर उत्तीर्ण हो या फिर स्नातक उत्तीर्ण, दोनों तरह के योग्यताधारी छात्रों को यह टेस्ट देना अनिवार्य है। इसके बाद ही उन्हें एक्जीक्यूटिव कार्यक्रम में दाखिला दिया जाएगा। संशोधन के बाद अब स्नातक उत्तीर्ण छात्रों को सीधे दाखिला नहीं मिलेगा। ऐसे में अब छात्र दाखिले के लिए स्नातक उत्तीर्ण होने का इंतजार नहीं करेंगे।

 

 



प्रशिक्षण का महज एक शिड्यूल-

संस्थान ने इस बार प्रशिक्षण के शिड्यूल में भी बड़ा बदलाव किया है। सीएस के छात्रों को किसी फर्म या कंपनी में प्रशिक्षण करना अनिवार्य है। इससे पहले प्रशिक्षण के तीन शिड्यूल थे। यदि छात्र फाउंडेशन के बाद प्रशिक्षण करता था तो उसके लिए तीन वर्ष का प्रशिक्षण अनुभव जरूरी थी। इसी तरह एक्जीक्यूटिव के बाद दो वर्ष और प्रोफेशनल के बाद एक वर्ष का प्रशिक्षण जरूरी था। लेकिन अब प्रशिक्षण केवल एक्जीक्यूटिव कार्यक्रम उत्तीर्ण करने के बाद ही कर सकते हैं।

 

 


चेयरमैन मनीष कुमार मिश्रा ने बताया कि एक्जीक्यूटिव कार्यक्रम उत्तीर्ण करने के बाद छात्र को 21 महीने का प्रशिक्षण करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस तरह से प्रशिक्षण के लिए अब केवल एक ही शिड्यूल बना दिया गया है। उन्होंने बताया कि एकरूपता लाने के लिए संस्थान ने यह बदलाव किया है। वहीं प्रोफेशनल उत्तीर्ण करने के बाद मेंबरशिप के लिए छात्र को अब लीडरशिप डवलपमेंट प्रोग्राम (एलडीपी) करना होगा। यह प्रोग्राम 30 दिन का है। इससे पहले छात्रों को मैनेजमेंट स्किल्स ओरिएंटेशन प्रोग्राम (एमएसओपी) करना पड़ता था। जो महज 15 दिन का होता था।

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