कर्नाटक में जारी राजनितिक संकट और गहरा गया है। अब यह संवैधानिक संकट का चोला ओढ़ता जा रहा है। कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को भी फ्लोर टेस्ट नहीं हो पाया। गवर्नर वजुभाई वाला की तरफ से मुख्यमंत्री एचडी. कुमारस्वामी को कर्नाटक विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार शाम 6 बजे तक कि मोहलत दी गई थी, किन्तु कुमारस्वामी निर्धारित वक़्त तक बहुमत साबित नहीं कर सके। अंत में, स्पीकर रमेश कुमार ने सदन को सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। 



आज बन सकती हैं ये तीन संभावनाएं :

1. कर्नाटक में आज सबकी निगाहें गवर्नर पर टिकी हुई हैं। तीन बार लिखे गए पत्रों की अवहेलना हुई है। गवर्नर केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजेंगे। देखना होगा कि केंद्र सरकार इस रिपोर्ट पर क्या रुख अपनाती है। 


 2. शीर्ष अदालत में शनिवार को कांग्रेस और जेडीएस की याचिका पर सुनवाई हो सकती है। कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से 17 जुलाई के आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग की जिसमें 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं होने के विकल्प चुनने की इजाजत प्रदान की गई है। सीएम कुमारस्वामी ने कहा कि शक्ति परीक्षण करने के संबंध में गवर्नर हस्तक्षेप कर रहे हैं। वहीं, कर्नाटक कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने भी शुक्रवार को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि अदालत का 17 जुलाई का आदेश पार्टी द्वारा अपने विधायकों को व्हिप जारी करने के अधिकार का हनन करता है। 



3. भाजपा पूरे प्रदेश में विरोध-प्रदर्शन कर सकती है। भाजपा विधायकों ने फ्लोर टेस्ट में देरी होने पर गुरुवार को विधानसभा में पूरी रात धरना दिया था। भाजपा नेता और राज्य के पूर्व सीएम येदियुरप्पा लगातार दावा कर रहे हैं कि उनके पास 106 विधायक हैं। भाजपा अपने विरोध-प्रदर्शन का दायरा भी बढ़ा सकती है। 

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