नयी दिल्ली। जम्‍मू कश्‍मीर पुनर्गठन और अनुच्‍छेद 370 को हटाने संबंधित बिल राज्‍यसभा में बहुमत से पास हो गया, लेकिन अब भी इस बिल को लागू करने में सरकार को कई अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।

मसलन अब भी इस बिल को 'असंवैधानिक' बताकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। इसके लिए संविधान के आर्टिकल 370 में निर्धारित प्रावधानों को आधार बनाया जा सकता है।

मालूम हो कि संविधान में अस्थायी आर्टिकल 370 को समाप्त करने का एक विशिष्ट प्रावधान निर्धारित है। संविधान के अनुच्छेद 370 (3) के मुताबिक, 370 को बदलने के लिए जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की अनुमति जरूरी है।

जानकारों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को साल 1956 में भंग कर दिया गया था और इसके ज्यादातर सदस्य भी अब जीवित नही हैं।

इसके अलावा संविधान सभा के भंग होने से पहले सेक्शन 370 के बारे में स्थिति भी स्पष्ट नहीं की गई थी कि यह स्थायी होगा या इसे बाद में समाप्त किया जा सकेगा।

ऐसे में केंद्र सरकार के प्रस्ताव को असंवैधानिक होने के दावे के साथ को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने की आशंका है।

बता दें कि पूर्व आईएएस शाह फैसल की पार्टी से जुड़ीं शेहला राशिद ने सोमवार को ट्वीट कर इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान भी किया है।

शेहला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार को गवर्नर से और संविधान सभा को विधानसभा से बदलकर यह कदम उठाया गया है जो संविधान के साथ धोखा है। 


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