नयी दिल्ली। देश के सबसे बेहतर चिकित्सा संस्थानों में शुमार पीजीआई चंडीगढ़ में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। पीजीआई में 24 हफ्ते के एक जिंदा नवजात को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारी ने जब नवजात को देखा तो उसकी सांसें चल रही थीं। इसके बाद आनन-फानन में मामले की सूचना गाइनी डिपार्टमेंट को दी गई। 
 
 
पहले तो डिपार्टमेंट ने जिंदा नवजात को वापस लेने में आनाकानी की लेकिन बाद में नवजात को वापस ले गए। इसके बाद करीब करीब 12 घंटे तक उसकी सांसें चलीं। डॉक्टरों की इस गंभीर चूक से पीजीआई प्रशासन में हड़कंप मच गया है। पीजीआई के कार्यवाहक प्रवक्ता का कहना है कि ऐसा मामला हमारे संज्ञान में आया है, जिसकी जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था। 

 
नयागांव दशमेश नगर निवासी संतोष कुमार ने बताया कि उसकी पांच महीने की गर्भवती पत्नी का इलाज सेक्टर-45 की डिस्पेंसरी में चल रहा था। अल्ट्रासांउड में बच्चे में दिक्कत पाई गई। पीजीआई में जांच कराने पर पता चला कि बच्चे की रीढ़ की हड्डी में गंभीर बीमारी है। जन्म लेने के बाद वह मात्र दो से तीन साल तक ही जिंदा रह सकता है।
 
 
ऐसे में डॉक्टरों ने गर्भपात की सलाह दी लेकिन गर्भ 20 हफ्ते से ऊपर का हो गया था। ऐसे में दंपति को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। हाईकोर्ट ने पीजीआई को पैनल गठित कर मामले को देखने को कहा। पीजीआई के पैनल ने भी गर्भपात की सलाह दी। पीजीआई की सलाह मानते हुए हाईकोर्ट ने गर्भपात के आदेश जारी कर किए। 
 

20 दिसंबर को संतोष ने अपनी पत्नी को उसे पीजीआई में दाखिल कराया। जहां 26 दिसंबर को पीजीआई की टीम ने उसका गर्भपात कर 24 हफ्ते के जिंदा नवजात को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। जब पोस्टमार्टम हाउस के कर्मियों ने देखा तो नवजात की सांसें चल रही थी। कर्मियों का आरोप है कि जब उन्होंने गाइनी डिपार्टमेंट में बात की तो कहा गया कि नवजात के मरने का इंतजार किया जाए। 

 
बाद में विरोध करने पर उसे पोस्टमार्टम हाउस से वापस ले जाया गया। इसके बाद करीब 12 घंटे तक नवजात जिंदा रहा और फिर दम तोड़ दिया। उसके बाद दोबारा से पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया। हालांकि इस बारे में जब नवजात के परिजनों से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्हें किसी तरह की कोई शिकायत नहीं है। पीजीआई कर्मचारी यूनियन का कहना है कि इस चूक से पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारी सदमे में हैं। यूनियन की मांग की है कि जिन्होंने लापरवाही की है, उन्हें सस्पेंड किया जाए। 

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