बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने नई पहल की है। इसके तहत शादी के कार्ड छापने वाले और कैटरिंग करने वालों को रजिस्टर मेंटेन करना होगा। इसमें वर-वधू की उम्र का सबूत होगा। इसके अलावा मैरिज होम संचालक को भी एज प्रूफ लेना होगा। इससे पहले से ही जानकारी हो जाएगा कि कहां चाइल्ड मैरिज हो रही है या नहीं।
सोमवार को जिला समाज कल्याण कार्यालय की ओर से आयोजित चाइल्ड लाइन के सिटी एडवाइजरी बोर्ड में चाइल्ड मैरिज रोकने डीडीसी अनन्य मित्तल ने जिला समाज कल्याण पदाधिकारी (डीएसडल्ब्ल्यूओ) सुमन सिंह को आदेश दिया। बोर्ड की बैठक में सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन और सदस्यों और चाइल्ड लाइन से संबंधित लोगों ने कहा कि कई बार शादी के मौके पर ही कार्रवाई करने से अभिभावक के साथ नाबालिग को भी सामाजिक ताने सुनने पड़ते हैं।
24 बाल विवाह के मामले आए सामने
रांची जिले में बीते 10 माह में 24 बाल विवाह के मामले सामने आए हैं। जिला बाल संरक्षण यूनिट (डीसीपीयू) के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 तक 24 बाल विवाह के मामलों में सबसे ज्यादा 7 मामले जून में आए थे। जबकि, इस वर्ष जनवरी में दो मामले आए हैं। वहीं, बीते 10 माह में 223 मामले रांची सीडब्ल्यूसी के सामने ट्रैफिकिंग के आ चुके हैं। जबकि, 10 माह में पोस्को के 74 मामले आए हैं। मई और सितंबर में पोस्को के 9-9 मामले आए थे, जबकि इस वर्ष जनवरी में 6 मामले आए।
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