आमतौर पर बनाए जाने वाले मिट्टी के दीये 2 से 3 घंटे तक जल पाते हैं। इसके बाद या तो दीये का आकार बड़ा करना पड़ता है या तो उसमें और तेल डालना पड़ता है। लेकिन छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में कोंडागांव के रहने वाले एक शिल्पकार अशोक चक्रधारी ने 24 से 40 घंटे तक लगातार जलने वाला मिट्टी का दीया बनाकर सभी को हैरान कर दिया है। इसमें खुद-ब-खुद तेल का प्रवाह होता रहता है। उन्होंने बताया, ’35 साल पहले मैंने एक दीया देखा था। उसी को याद करके मैंने इसे बनाया है।’ बकौल चक्रधारी, ‘हमने इसकी कीमत 200 से 250 रुपए रखी है।’
कुम्हार अशोक चक्रधारी अपनी खास कला के माध्यम से जाने जाते है। उनकी बनाई चीज से प्रभावित होकर केन्द्रीय वस्त्र मंत्रालय ने भी इन्हें नेशनल मेरिट प्रशस्ति अवार्ड पत्र व 75 हजार रुपए देकर सम्मानित किया है। अशोक महज चौथी क्लास तक पढ़े है, लेकिन उनकी कला हर बार मेरिट में आने वाले छात्र की तरह दिखाई पड़ती है। अशोक बताते हैं कि दीया साइफन विधि से काम करता है। उन्होंने बताया कि यह दीया दूसरों से अलग है। पहले मिट्टी से दीया तैयार करते है, फिर एक गुंबद में तेल भर कर दीये के ऊपर पलटकर रख देते है। इस गुबंद की टोटी से तेल बूंद-बूंद कर टपकता रहता है। दीये का तेल जैसे ही खत्म होता है तो अपने आप टोटी से तेल टपकता है। जैसे ही तेल दीया में भर जाता है, तो तेल का रिसाव बंद हो जाता है।
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