दरअसल, ये फैसला डोज लगवानेवाली 60 वर्षीय महिला में ब्लड क्लॉट बनने के बाद लिया गया. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बयान में कहा, "एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन से कई लोगों का टीकाकरण किया गया था. उसके बाद ब्लड क्लॉट के गंभीर मामले सामने आने के बाद कदम उठाया गया.
हालांकि, ये भी कहा गया कि वर्तमान में वैक्सीन और ब्लड क्लॉट के बीच संबंध का निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है." स्वास्थ्य एजेंसी ने डेनमार्क के ब्लड क्लॉट पीड़ितों की जानकारी नहीं दी. डेनमार्क की पहल के बाद नार्वे ने भी मंगलवार को एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को रोकने का एलान किया. नार्वे के के एक अधिकारी ने न्यूज कांफ्रेंस में बताया कि ये एहतियाती फैसला है. ऑस्ट्रिया ने भी 49 वर्षीय नर्स की मौत के बाद एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को इस्तेमाल करने से रोकने की जानकारी दी.
कोविड-19 वैक्सीन लेने के कई दिनों बाद उसे 'गंभीर रक्त जमावट की समस्या' हुई थी. दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने गुरुवार को रॉयटर्स न्यूज एजेंसी से लिखित जवाब में कहा था कि उसकी वैक्सीन के असर की जांच मानव परीक्षण से हुई थी. उसने ये भी कहा था कि उसे सख्त और कठोर गुणवत्ता नियंत्रण से गुजरना पड़ा था और 'वैक्सीन से जुड़े गंभीर प्रतिकूल प्रभाव के मामले सामने नहीं आए थे'.
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