कहानी : फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है एक परंपरावादी परिवार से जो पंडित और कुंडली के चक्कर में जबरदस्ती अपने बेटे की शादी करवाना चाहते हैं, मगर मुसीबत तब होती है, जब उनका बेटा आकाश (अर्पित चौधरी) पहले से एक मॉडर्न और आजाद ख्याल लड़की अनीशा (
रिव्यू : निर्माता-निर्देशक अमित अग्रवाल की फिल्म की समस्या यह है कि वह आपको फिल्म के बजाय सीरियल का फील देती है। कुछ हिस्सों में फिल्म मनोरंजन जरूर करती है, मगर कमजोर स्क्रीनप्ले के कारण फिल्म पूरी तरह से बांध नहीं पाती। फिल्म में कन्टिन्यूटी के कई दोष हैं। क्लाइमेक्स को निर्देशक बेहतर बना सकते थे। अभिनय के मामले में अर्पित चौधरी औसत रहे हैं। अनीशा के रूप में करिश्मा शर्मा खूबसूरत लगी हैं। इस फिल्म में 'तेजाब' फेम जाने-माने निर्देशक एन चंद्रा के बेटे नचिकेत नार्वेकर ने अपना ऐक्टिंग डेब्यू किया है। दोस्त देव के रूप में वह हास्य के कुछ पल जुटाने में कामयाब रहे हैं। सपॉर्टिंग कास्ट में नौकर-नौकरानी की भूमिका करने वाले कलाकारों ने ओवर ऐक्टिंग की है, जबकि माता-पिता अपनी भूमिकाओं में सहज रहे। शारिब हाशमी जैसे प्रतिभावान कलाकार को छोटे से रोल में जाया कर दिया गया।
क्यों देखें : आप अगर यह फिल्म नहीं भी देखेंगे, तो आपका कोई नुकसान नहीं होगा।
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