असदुद्दीन ओवैसी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि "गोरक्षा पर अपने दिए बयानों को कार्य रूप में परिणत करना चाहिए|" प्रधानमंत्री के बयान पर ओवैसी ने प्रश्न उठाया और कहा कि "सिर्फ कुछ शब्द काफी नहीं होंगे| मोदी को दलितों और मुसलमानों में असुरक्षा के भाव को हटाना पड़ेगा|"    

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गौरक्षकों पर खुल कर प्रधानमंत्री ने कहा था कि "असामाजिक तत्व गौरक्षकों का मुखौटा लगाए हुए हैं|" ओवैसी ने कहा कि "सभी गौरक्षक समितियां संघ परिवार से जुड़ी हुई हैं और इस पर प्रधानमंत्री को कार्रवाई करनी चाहिए|" उन्होंने कहा, "सवाल यह है कि क्या ये महज कुछ शब्द हैं| प्रधानमंत्री को राज्यों में अपने ही लोगों, अपनी पार्टी और भाजपा सरकारों पर लगाम लगानी होगी|"
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ओवैसी ने आगे यह भी कहा कि 2014 में मोदी को चुनाव प्रचार के दौरान पर दिए हुए गुलाबी क्रांति के बारे पर दोबारा गौर करना चाहिए| ओवैसी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि "उन्हें इस मुद्दे पर बोलने में इतना समय क्यों लगा|" ओवैसी ने कहा, "जब अखलाक को मारा गया, प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा| झारखंड में दो मुसलमानों को मारने की घटना पर भी वह चुप रहे| जम्मू के एक ट्रक चालक की मौत की खबर पर भी प्रधानमंत्री चुप रहे|"

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 आगे उन्होंने कहा कि उना में दलितों पर उत्पीड़न का वीडियो देश के हर घर-घर तक पहुंच गया है, और यही वजह है कि प्रधानमंत्री को मजबूरन बोलना पड़ा है| उन्होंने यह भी कहा कि "सभी घटनाएं उन राज्यों में हुई हैं जहां भाजपा सत्ता में है या संगठनात्मक रूप से मजबूत है|"    
 


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