नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने सोमवार को कहा कि देश मंदी की चपेट में आ सकता है, आंकड़े यही बता रहे हैं। कोलकाता लिटरेरी मीट के दौरान बनर्जी ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर में ठहराव की स्थिति बनी हुई है और सरकार को इसके लिए वित्तीय सहायता मुहैया करानी चाहिए। उन्होंने कहा, “जब हम कहते हैं कि देश मंदी की चपेट में आ सकता है तो हम यह नहीं जानते कि इसका असर कितना होगा? हमारे पास जो भी डेटा मौजूद है उससे यह पता नहीं चलता कि हम मंदी की चपेट में नहीं आ सकते।’’ बनर्जी ने भारत में संपत्ति कर लगाने और लोगों के बीच वितरण करने की वकालत भी की।

 

असंगठित क्षेत्र को लेकर बनर्जी ने कहा कि यह क्षेत्र देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है, लेकिन इसको लेकर हमारे पास कोई विश्वसनीय डेटा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार के एयर इंडिया जैसी सरकारी कंपनियों के निजीकरण को सही ठहराया।

 

‘हमारे पास 1991 के डेटा से भी बदतर डेटा मौजूद’

 

हाल ही में सरकार द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती किए जाने पर बनर्जी ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि कॉर्पोरेट सेक्टर नकदी के ढेर पर बैठा है।” बनर्जी ने केंद्र सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम का जिक्र करते हुए कहा, “हमें उनकी बातों पर गौर करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि मौजूदा समय में जो डेटा हमारे पास उपलब्ध है, वह 1991 के डेटा से भी बदतर है। हमारा निवेश, आयात और निर्यात 1991 से भी खराब स्थिति में है। उस साल भी हम मंदी के दौर में थे।”

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