देश में बसंत पंचमी के त्यौहार ही तेयारी लगभग पूरी हो चुकी है। दो दिन बाद यानि 29 जनवरी को देश में बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन से बसंत का आगमन होता है। इस दिन को माता सरस्वती की अराधना भी का जाती है। रोचक बात यह है कि माता सरस्वती को अपने ही पिता ब्रह्मा जी से विवाह करना करना पड़ा था। लेकिन आखिर क्यों किया था ऐसा आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

 


ब्रह्मा जी और सरस्वती का विवाह
पुराण के अनुसार जब ब्रह्मा जी सृष्टी का निर्माण कर रहे थे तो उस समय उनके वीर्य से उनकी बेटी सरस्वती ने भी जन्म लिया। इसलिए ऐसा माना जाता है कि सरस्वती जी की कोई माता नहीं अपितु केवल पिता ही थे। सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है। विद्या की देवी सरस्वती सुंदरता में इतनी सुंदर थी कि उनके आकर्षण से खुद ब्रह्मा जी भी नहीं बच सके और उन्हें सरस्वती को अपनी पत्नी बनाने का विचार किया। लेकिन अपने पिता की इस अवस्था को भांपते हुए सरस्वती जी ने उनसे बचने के लिए चारों दिशाओं में छिपने का प्रयास किया लेकिन अंत में वह सफल नहीं हो पाई और विवश होकर उन्हे अपने पिता से विवाह करना पड़ा।

 

विवाह के बाद जंगल में रहे
 विवाह के बाद ब्रह्मा और सरस्वती सौ वर्षो तक जंगल में रहें और उनका एक पुत्र भी हुआ। जिसका नाम स्वंयभू मनु रखा गया। मतस्य पुराण में भी इसका वर्णन है कि ब्रह्मा जी के पांच सिर थे। अकेले पन को दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने सृष्टी की रचना की थी। रचना के बाद वह सरस्वती के आकर्षण से ही आकर्षित होने लगे। ब्रह्मा जी के इस व्यवहार से सरस्वती जी परेशान होने लगी और ब्रह्मा जी से बचने के लिए सरस्वती अंत में वह आकाश में जाकर छिप गईं।

 

लेकिन ब्रह्मा जी ने अपने पांचवे सिर से उनको ढूंढ लिया। जिसके बाद विवाह का आग्रह कर उनसे सृष्टी के निर्माण में सहयोग के लिए कहा। जिसके बाद सरस्वती जी को ब्रह्मा जी से विवाह करना पड़ा। ब्रह्मा और सरस्वती की संतान मनु को पृथ्वीं पर जन्म लेने वाला मानव माना जाता है। इतना ही नहीं मनु को वेदों और सनातम धर्म का और संस्कृत का सहित समस्त भाषाओं का जनक भी माना जाता है।

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