इस बार शारदीय नवरात्र में तीन विशेष संयोग बन रहे हैं। पहला संयोग करीब 58 साल बाद बन रहा है। शनि और बृहस्पति अपनी-अपनी राशि मकर और धनु में संचार करेंगे। दूसरे संयोग में सत्रह अक्तूबर को सूर्य की संक्रांति पड़ रही है। इस दिन सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेंगे।


सूर्य की संक्रांति पड़ने से इस दिन किए गए पूजन-दान का फल हजार गुना अधिक हो जाता है। तीसरा और प्रमुख संयोग पूरे नवरात्र में सात दिन विशेष संयोग पडेंगे। इन योगों में शुभ कार्य करने से कार्य सिद्धि होती है और विशेष लाभ मिलता है। बताया कि इस बार मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर होगा। उन्होंने बताया कि इस दौरान नियम, संयम, खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मां दुर्गा का पूजन कर सोलह श्रृंगार अर्पण करना चाहिए।


नवरात्र सत्रह से पच्चीस अक्तूबर तक होंगे।

कलश स्थापना सुबह 6.25 से 10.10 बजे तक, पूर्वाह्न 11.42 से 12.27 बजे अभिजीत मुहूर्त में और अपराह्न बारह बजे से साढ़े चार बजे तक होगी। दूसरा स्थिर लग्न वृष रात में 07:06 से 09:02 बजे तक होगा परंतु चौघड़िया 07:30 तक ही शुभ है अतः 07:08 से 07:30 बजे के बीच मे कलश स्थापना किया जा सकता है।


कई विशिष्ट योग
1962 के बाद 58 साल के अंतराल पर शनि व गुरु दोनों नवरात्रि पर अपनी राशि में विराजे हैं, जो अच्छे कार्यों के लिए दृढ़ता लाने में बलवान होगा। नवरात्रि पर राजयोग, द्विपुष्कर योग, सिद्धियोग, सर्वार्थसिद्धि योग, सिद्धियोग और अमृत योग जैसे संयोगों का निर्माण हो रहा है। इस नवरात्रि दो शनिवार भी पड़ रहे हैं।

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