आयुष्मान ने कहा 'मैं वर्दी वाले पुरुष और महिलाओं का बहुत सम्मान करता हूं। जब मैंने वर्दी पहनी तो मेरे आसपास का ऑरा बदल गया। मेरी बॉडी लैंग्वेज बदल गई। फिल्म एक बाहरी के नजर से ग्रामीण भारत की जाति व्यवस्था को दिखाती है। पहली बार मैं परिस्थितियों का शिकार नहीं बल्कि मास्टर के किरदार में हूं।'
आयुष्मान ने फिल्म की तैयारियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने डॉ. बी.आर. आंबेडकर द्वारा बताए गए जाति भेद के बारे में खूब पढ़ा। आयुष्मान कई रातें जागकर हमारे देश में शोषित लोगों के बारे में पढ़ते रहे। आयुष्मान का कहना है कि 'आर्टिकल 15' में पुलिस का किरदार निभाना उनके लिए काफी इमोशनल था।
फिल्म से उम्मीदों के बारे में पूछने पर आयुष्मान कहते हैं कि इसके बाद इस मुद्दे पर चर्चा बढ़नी चाहिए। भारत रातोंरात नहीं बदल सकता है लेकिन फिल्मों से कम से कम ऐसे विषयों पर चर्चा शुरू तो की जा सकती है।
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