तिरुवनंतपुरम। सबरीमाला मामले को उच्चतम न्यायालय के वृहद पीठ में भेजे जाने के शीर्ष अदालत के फैसले की पृष्ठभूमि में, भगवान अयप्पा मंदिर शनिवार को खुलेगा। इस बीच केरल के देवस्वओम मंत्री के सुरेंद्रन ने कहा कि राज्य की एलडीएफ सरकार उन महिलाओं को सुरक्षा नहीं देगी जिन्होंने मंदिर में प्रवेश करने का एलान किया है। शीर्ष अदालत ने इस धार्मिक मामले को बृहद पीठ में भेजने का निर्णय किया था।
शीर्ष अदालत ने पहले पिछले साल रजस्वला उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी। 17 नवंबर से शुरू होने वाले दो महीने की लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा सत्र के लिए शनिवार को मंदिर खुल रहा है। के सुरेंद्रन ने कहा कि सबरीमाला आंदोलन करने का स्थान नहीं है और राज्य की एलडीएफ सरकार उन लोगों का समर्थन नहीं करेगी जिन लोगों ने प्रचार पाने के लिए मंदिर में प्रवेश करने का ऐलान किया है।
भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला कार्यकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा प्रदान किये जाने संबंधी खबरों को खारिज करते हुए सुरेंद्रन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले को ले कर कुछ भ्रम है और सबरीमाला मंदिर जाने की इच्छुक महिलाओं को अदालत का आदेश लेकर आना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को इस मामले पर फैसला देते हुए इसे वृहद पीठ को सौंपने का निर्णय किया है, इसी परिप्रेक्ष्य में संवाददाताओं के पूछे गए सवाल का जवाब सुरेंद्रन दे रहे थे।
मंत्री ने कहा कि सबरीमाला आंदोलन करने वालों के लिए स्थान नहीं है। कुछ लोगों ने संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर मंदिर में प्रवेश करने की घोषणा की है। वे लोग केवल प्रचार के लिए ऐसा कर रहे हैं। सरकार इस तरह की चीजों का समर्थन नही करेगी।
कुछ कार्यकर्ताओं के इस कथन के बारे में पूछे जाने पर कि शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर 2018 के फैसले पर रोक नहीं लगायी है, मंत्री ने कहा कि वे लोग शीर्ष अदालत का रूख कर सकते हैं और वहां से आदेश लेकर आयें और मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आदेश में अब भी कुछ भ्रम है। सरकार कानूनी विशेषज्ञों की राय लेगी।
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