पाकिस्तान के मशहूर शायर फैज अहमद फैज की नज्म पर मचे बवाल के बाद अब कैलाश खेर अपने एक गाने की वजह से चर्चाओं में हैं. रविवार को सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ी कि 'अल्लाह के बंदे' गाने के लिए IIT कानपुर की ओर से कैलाश खेर को नोटिस जारी किया गया है. इसके बाद आईआईटी प्रशासन को बयान जारी करके कहना पड़ा कि ये महज अफवाह है.
कैलाश खेर को नोटिस भेजने की अफवाह पर IIT के डिप्टी डायरेक्टर मणींद्र अग्रवाल ने सफाई देते हुए कहा कि हमारी तरफ से किसी को नोटिस नहीं दिया गया है. किसी ने मजाक में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, जिसे पब्लिक ने सच मान लिया.
क्यों छिड़ा था फैज की नज्म पर विवाद
बता दें कि फैज की कविता का नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ जारी प्रदर्शनों में इस्तेमाल हो रहा है. इस बीच आईआईटी कानपुर ने एक जांच कमेटी बनाई है. ये कमेटी इस बात को जांचेगी कि क्या फैज की ये नज्म हिंदू विरोधी है या नहीं? ये जांच नज्म की ‘बस नाम रहेगा अल्लाह का...’ की पंक्ति की वजह से हो रही है. जानें कि फैज ने ये कविता क्यों लिखी थी...
पूरा विवाद अप्रांसगिक और फनी हैः सलीमा हाशमी
उर्दू शायर और लेखक फैज अहमद फैज की अमर रचना 'हम देखेंगे' के गैर हिंदू होने पर भारत में हो रहे विवाद पर उर्दू कवि की बेटी सलीमा हाशमी का कहना था कि यह पूरा विवाद अप्रांसगिक और फनी है. इंडिया टुडे के साथ खास बातचीत में सलीमा हाशमी ने कहा था यह बेहद फनी है कि कैसे 'हम देखेंगे' भारत विरोधी हो गया. बस इसलिए कि यह प्रदर्शन कर रहे छात्रों की ओर से गाया गया.
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