बैठक में तय किया गया कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक ट्रस्ट का गठन किया जाएगा। इसमें ट्रस्ट का नाम और उनके ट्रस्टी भी तय किए जाएंगे। साथ ही डिजाइन कंसलटेंट के चयन के लिए पहले हुई कार्रवाई को निरस्त कर दिया। अब डिजाइन कंसलटेंट के चयन के लिए नए सिरे से ईओआई (एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट) व टीओआर जारी किए जाने का भी फैसला किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरयू के किनारे इस प्रतिमा को स्थापित करने के लिए जल्द काम शुरू किया जाए। वहीं, प्रतिमा के साथ—साथ अयोध्या के समग्र विकास के लिए पूरी योजना तैयार होनी चाहिए। इसमें भगवान श्रीराम पर आधारित डिजिटल म्यूजियम, इंटरप्रेटेशन सेंटर, लाइब्रेरी, पार्किंग, फूड प्लाजा, लैंडस्केपिंग के साथ साथ पर्यटकों के मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था हो।
गुजरात से लिया जाएगा सहयोगइस प्रतिमा को लगाने के लिए गुजरात से तकनीकी सहायता व मार्गदर्शन लिया जाएगा। इसके लिए गुजरात सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया जाएगा। इसके लिए राजकीय निर्माण निगम की अलग से एक इकाई की स्थापना भी की जाएगी। संबंधित विभागों से एक—एक नोडल अधिकारी भी इसके लिए नियुक्त किये जाएंगे। बैठक में उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा व केशव प्रसाद मौर्या, मंत्री सुरेश खन्ना, सतीश महाना, मुख्य सचिव अनूपचंद्र पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी भी मौजूद रहे।
विश्व की सबसे ऊंची होगी प्रतिमा
भगवान राम की मूर्ति विश्व में सबसे ऊंची होगी। अभी तक न्यूयार्क में स्टैच्यू आफ लिबर्टी की ऊंचाई 93 मीटर, मुंबई में निर्माणाधीन डॉ. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा की ऊंचाई 137.2 मीटर और गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा 183 मीटर है। वहीं चीन में गौतम बुद्ध की प्रतिमा 208 मीटर, मुंबई में निर्माणाधीन छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रतिमा 212 मीटर ऊंची है। अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की प्रतिमा की ऊंचाई 251 मीटर प्रस्तावित है।
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