
इस प्रणाली के तहत इस्तेमाल किए जाने वाले माइक्रो रॉकेट्स के तीन सफल परीक्षण किए गए। इनमें से दो परीक्षणों में एक-एक रॉकेट दागा गया, जबकि तीसरे परीक्षण में 2 सेकंड के भीतर दो रॉकेट्स को एक साथ (salvo mode) लॉन्च किया गया। सभी चार रॉकेट्स ने अपेक्षित प्रदर्शन किया और परीक्षण के सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया। सेना के वायु रक्षा विभाग (AAD) के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में यह परीक्षण हुआ।
ड्रोन हमलों से मुकाबले के लिए एकीकृत समाधान
‘भार्गवास्त्र’ प्रणाली छोटे और तीव्र गति से आने वाले ड्रोन को 2.5 किमी की दूरी से पहचानकर उन्हें निष्क्रिय करने की क्षमता रखती है। इसमें दो स्तर की सुरक्षा प्रणाली है – पहला स्तर बिना गाइड किए गए माइक्रो रॉकेट्स हैं, जिनकी घातक त्रिज्या 20 मीटर तक है और यह एक साथ कई ड्रोनों को नष्ट कर सकते हैं। दूसरा स्तर पहले से परीक्षण की गई माइक्रो मिसाइलों का है, जो उच्च सटीकता के साथ लक्ष्यों को नष्ट करती हैं।
यह प्रणाली ऊँचाई वाले इलाकों (5000 मीटर से अधिक) समेत विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में तैनात की जा सकती है। इसका डिज़ाइन पूरी तरह स्वदेशी है और इसे भारत की तीनों सेनाओं के उपयोग के लिए बहुपरतीय और बहुस्तरीय वायु रक्षा कवच के रूप में तैयार किया गया है।
तकनीकी विशेषताएं और नेटवर्क एकीकरण
‘भार्गवास्त्र’ में उन्नत C4I (Command, Control, Communications, Computers, and Intelligence) तकनीक युक्त कमांड एंड कंट्रोल सेंटर है, जो 6 से 10 किमी दूर से अत्यंत छोटे हवाई खतरों का भी पता लगाने में सक्षम है।
इसमें Electro-Optical/Infrared (EO/IR) सेंसर्स का संयोजन है जो बेहद कम रेडार सिग्नल देने वाले लक्ष्यों (Low Radar Cross-Section) की भी पहचान कर सकते हैं।
यह प्रणाली मॉड्यूलर है — यानी इसके सेंसर (Radar, EO, RF Receiver) और शूटर यूनिट्स को उपयोगकर्ता की आवश्यकता अनुसार अलग-अलग या संयुक्त रूप से कॉन्फ़िगर किया जा सकता है।
साथ ही, इसे भारत की मौजूदा नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध संरचना के साथ भी सहजता से जोड़ा जा सकता है। भविष्य में इसमें जैमिंग और स्पूफिंग जैसी सॉफ्ट-किल तकनीकों को भी जोड़ा जा सकता है, जिससे यह एक संपूर्ण और एकीकृत वायु रक्षा समाधान बन सके।