मोदी सरकार 2 के कार्यकाल शुरू होने के बाद से ही एक ऐसा मुद्दा उभरकर सामने आया है जिसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी। दरअसल सत्ता में दोबारा आने के बाद पीएम मोदी ने कुल 8 कमेटी का गठन किया जिसमें भाजपा के प्रमुख नेता राजनाथ सिंह को सिर्फ दो कमेटी का ही हिस्सा बनाया गया, फिर क्या था इस बात ने इतना तूल पकड़ा की हर किसी के मन में ये सवाल आने लगा कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि राजनाथ सिंह को महज 2 कमेटी की जिम्मेदारी ही सौंपी गई। ये सवाल खड़ा होना भी जायज था क्योंकि पिछले कार्यकाल में राजनाथ सिंह गृहमंत्री के पद पर थें और नए कार्यकाल में गृहमंत्री का पद तो उन्हे नहीं ही मिला इसके अलावा उन्हें पॉलिटीकल अफेयर के कमेटी से भी दूर कर दिया गया जिसमें राजनीतिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं।

नई सरकार में राजनाथ को तवज्जो नहीं देने के कारण इनको लेकर सवाल खड़े होने लगे, कहा जाने लगा कि मोदी सरकार के नए कार्यकाल में राजनाथ का रूतबा कम हो गया। जिसके तुरंत बाद ही मोदी सरकार ने एक नई लिस्ट जारी की और फिर राजनाथ सिंह को 4 अन्य कमेटी का हिस्सा बनाया गया, यानि की कुल मिलाकर अब 6 कमेटी की जिम्मेदारी राजनाथ सिंह के पास है जिसमें  कैबिनेट कमेटी पारलियामेंट अफेयर, कैबिनेट कमेटी पॉलिटिकल अफेयर , कैबिनेट कमेटी इंवेस्टमेंट एंड ग्रोथ, कैबिनेट कमेटी ऑन एम्प्लॉयमेंट एंड स्किल डेवलपमेंट,  कैबिनेट कमेटी सिक्योरिटी, कैबिनेट कमेटी इकोनॉमिक अफेयर्स।  


नई सरकार में कौन है 'नंबर 2' नेता 

भाजपा ने भले ही इस नए लिस्ट को जारी कर लोगों के सवाल का जवाब दे दिया हो, लेकिन पार्टी के अंदर अभी भी नंबर 2 के नेता को लेकर सवाल बना हुआ है। दरअसल पिछले कार्यकाल में राजनाथ सिंह को जो पद प्राप्त था उसके अनुसार नए कार्यकाल में जिस तरह से पार्टी ने उनको किनारा किया है ऐसे में यही लगता है कि राजनाथ सिंह को अमित शाह ने रिप्लेस किया है। वहीं कुछ राजनीतिक सलाहकारों का कहना है कि पिछले कार्यकाल में राजनाथ सिंह ने भले ही अपना कार्यभार निभाया है पर अभी भी वो पार्टी का विश्वास नहीं जीत सके हैं और इनके मुकाबले अमित शाह की छवि जनता के बीच काफी दमदार तरीके से उभरकर सामने आई है। ऐसे में अमित शाह को मोदी के बाद यानि की नंबर 2 का नेता माना जा रहा है और पार्टी भी इस बात से आश्वस्त हो चुकी है। वहीं अगर बात राजनाथ सिंह के छवि की करें तो माना जाता है कि ये भले ही अपने सभी जिम्मेदारियों का निर्वाहन किए हो लेकिन इसमें उनके साथ हमेशा ही संघ देता आया है। अब ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बार के कार्यकाल में जहां अमित शाह का प्रमोशन हुआ है वहीं राजनाथ सिंह 'नंबर 2' से 'नंबर 3' पर शिफ्ट हो गए हैं। 

कमेटी से दूर रखना पार्टी को पड़ा महंगा 

एकाएक राजनाथ सिंह को कैबिनेट बैठक में कुल 8 में से 2 कमेटी का हिस्सा बनाना पार्टी के लिए महंगा पड़ गया। जी हां क्योंकि भले ही राजनाथ सिंह, अमित शाह की तरह राजनीति के चाणक्य नहीं कहे जाते लेकिन उनकी भी अपनी एक अलग पहचान है। जनता के बीच राजनाथ सिंह एक सशक्त नेता के रूप में उभरकर सामने आ चुके हैं, पिछले कार्यकाल में जिस तरह से ये अपने दायित्वों पर खरें उतरे हैं इस बात से कोई भी अनजान नहीं होगा। आज भले ही मोदी व शाह की जुगलबंदी में सरकार अपने बीच राजनाथ सिंह को नहीं बर्दाश्त करना चाह रही लेकिन जनता के बीच उठे सवाल के कारण शायद पहली बार ऐसा हुआ होगा कि मोदी-शाह की जोड़ी ने जो फैसला लिया उसे महज 24 घंटे के अंदर बदलना पड़ा होगा। पीएम मोदी नए कार्यकाल के दौरान 8 कमेटी का पूर्नगठन हुआ जिसमें राजनाथ सिंह को शुरूआत में सिर्फ 2 कमेटी में जगह मिली थी लेकिन बाद में फिर 4 और कमेटी का हिस्सा इन्हे बनाया गया।  


Find out more: