![](https://www.indiaherald.com/cdn-cgi/image/width=750/imagestore/images/politics/politics_latestnews/ed-429700ba-c733-4d01-9415-16c9a3dcffa9-415x250.jpg)
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि जब कोई आरोपी किसी समन के अनुपालन में अदालत के समक्ष पेश होता है, तो एजेंसी को उसकी हिरासत पाने के लिए संबंधित अदालत में आवेदन करना होगा। पीठ ने कहा, यदि ईडी को हिरासत की आवश्यकता है तो जांच एजेंसी संबंधित अदालत के समक्ष आवेदन दे सकती है और उसके बाद हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता के कारणों से संतुष्ट होने के बाद अदालत केवल एक बार हिरासत दे सकती है।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जो आरोपी ईडी के समन के बाद स्वेच्छा से एक विशेष अदालत के सामने पेश होते हैं, उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 45 में निर्धारित जमानत के लिए कठोर मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है। यदि अभियुक्त (अदालत द्वारा जारी) समन द्वारा विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित होता है, तो यह नहीं माना जा सकता कि वह हिरासत में है।