नयी दिल्ली। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक में शामिल हुए। इसमें नमामि गंगे परियोजना के अगले चरण और नए एक्शन प्लान पर चर्चा हुई। इसके बाद मोदी ने परियोजना के असर का निरीक्षण करने के लिए अटल घाट पर नौकायन भी किया। प्रधानमंत्री नौकायन से लौटते वक्त घाट की सीढ़ियों पर लड़खड़ा गए। इस दौरान साथ मौजूद एसपीजी के जवानों ने उन्हें संभाला। नौकायन के लिए प्रयागराज से डबल डेकर मोटर बोट मंगाई गई थी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और कई अफसर शामिल हुए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी न्योता भेजा गया था, लेकिन वे शामिल नहीं हुईं।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 2071 किमी। भू-भाग में प्रवाहित होने वाली गंगा नदी का कानपुर में पड़ने वाला हिस्सा सबसे अधिक प्रदूषित माना जाता है। कानपुर में होने वाली इस बैठक से सरकार संदेश देना चाहती है कि वह नमामि गंगे परियोजना के प्रति गंभीर है। गंगा और उसकी सहायक नदियों को अविरल बनाना भाजपा के एजेंडे में शामिल है।
गंगा और इसकी सहायक नदियों का प्रदूषण खत्म करने और इन्हें पुनर्जीवित करने के लिए 2014 में केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना शुरू की थी। इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प को दी गई है। परियोजना की अवधि 18 साल है। सरकार ने 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20 हजार करोड़ रुपये का बजट तय किया है।
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