नयी दिल्ली। इस साल नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने 3,200 बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया। सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तोपों और ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों से हमले रोजमर्रा की बात हो चली है। 2003 में दोनों देशों के बीच संघर्षविराम को लेकर हुए समझौते के बाद एक साल में इसके उल्लंघन की यह सबसे ज्यादा संख्या है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, '778 किलोमीटर लंबी एलओसी पर सीमा-पार से संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाएं जारी है। खासकर अखनूर, पुंछ, उरी और केरन जैसे इलाकों में दोनों तरफ से हैवी फायरिंग हो रही है। दोनों ही तरफ नुकसान हुआ है। उदाहरण के तौर पर 25 दिसंबर को रामपुर में हमने एक जूनियर कमिशंड ऑफिसर को खोया जबकि पाकिस्तान को 2 सैनिक गंवाने पड़े।'
गुरुवार रात को भी पाकिस्तानी सेना ने पुंछ-राजौरी सेक्टर में सीजफायर का उल्लंघन किया जिसका सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। अधिकारी ने बताया, 'ऐसे संकेत मिले हैं कि कुछ पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं...लेकिन इसी पुष्टि नहीं की जा सकती।'
एलओसी पर सीजफायर उल्लंघन की चपेट में अक्सर आम नागरिक भी आ जाते हैं। दोनों देशों के बीच तनाव तब और ज्यादा बढ़ गया जब मोदी सरकार ने इस साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करते हुए सूबे को 2 केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने का ऐतिहासिक फैसला लिया।
इस साल अबतक संघर्षविराम उल्लंघन की 3,200 घटनाएं हो चुकी हैं जो 2003 के बाद से अबतक के सारे रेकॉर्ड को तोड़ चुकी है। इनमें से 1,600 बार तो सिर्फ पिछले 5 महीनों में हुई हैं। अगस्त में संघर्षविराम उल्लंघन की 307, सितंबर में 292, अक्टूबर में 351 और नवंबर में 304 घटनाएं हुईं। दिसंबर के शुरुआती दिनों में ही यह आंकड़ा 300 पार कर गया था। इसके उलट 2017 में 971 और 2018 में 1,629 बार संघर्षविराम का उल्लंघन हुआ।
एक अन्य अधिकारी ने बताया, 'इससे पहले इस साल पाकिस्तानी सेना और आईएसआई पहाड़ों पर बर्फबारी से पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के लिए बेचैन थीं। फायरिंग की आड़ में आतंकी घुसपैठ या बॉर्डर ऐक्शन टीम (BAT) की कायराना कार्रवाइयों को अंजाम दिलाने की कोशिशें हुईं। हालांकि, अब घुसपैठ की घटनाओं में कमी आई है लेकिन संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाएं बदस्तूर जारी हैं।'
इस साल संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाओं में सेना के 41 जवान शहीद हुए जबकि जम्मू-कश्मीर में ऐंटी-टेरर ऑपरेशनों में 158 आतंकवादी ढेर हुए।
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