नयी दिल्ली। कांग्रेस की कुछ राज्यों में सत्ता में वापसी के बावजूद इस वर्ष होने वाले द्विवार्षिक राज्यसभा चुनाव में उसकी स्थिति कमजोर होगी। इस साल कांग्रेस की 17 सीटें खाली हो रही हैं, लेकिन दस सीट भी मिलना मुश्किल हैं। दरअसल, कांग्रेस की खाली होने वाली ज्यादातर सीटें अन्य दलों और भाजपा शासित राज्य हैं। उत्तराखंड, ओडिशा, यूपी, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश से रिटायर हो रहे सदस्यों की वापसी नामुमकिन है। कांग्रेस को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान से अतिरिक्त सीटें मिलने की उम्मीद है। 

 

मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह, बीके हरिप्रसाद, राजबब्बर, राजीव गौड़ा, मधुसूदन मिस्त्री, पीएल पूनिया, कुमारी शैलजा जैसे नेता वापसी की कोशिश करेंगे। जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया, केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खरगे, प्रमोद तिवारी, राजीव शुक्ला, रणदीप सुरजेवाला जैसे नेता कांग्रेस शासित राज्यों से राज्यसभा पहुंचने की लाइन में हैं। कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में दो-दो सीटें मिलेंगी, वहीं झारखंड में खाली हो रही दो सीटों में एक पर कांग्रेस दावा जरूर कर सकती है।

ये सीटें जाएंगी हाथ से

यूपी से राज्यसभा सांसद पीएल पूनिया नवंबर में रिटायर होंगे। राज्य में कांग्रेस के नौ विधायक हैं, ऐसे में ये सीट खोनी पड़ेगी। उत्तराखंड से राजबब्बर का टर्म भी पूरा हो रहा है। यहां भी कांग्रेस को सीट नहीं मिलेगी। वहीं हिमाचल और ओडिशा में भी सीट गंवानी पड़ेगी। कर्नाटक से भी रिटायर हो रहे दो सदस्यों में जेडीएस के समर्थन के बिना एक भी सीट पर वापसी संभव नहीं है।

राजस्थान में खुलेगा खाता

राजस्थान में अप्रैल में तीन सीट एक साथ खाली होंगी। यहां अभी तक तीनों राज्यसभा सीटें भाजपा की हैं। कांग्रेस को दो सीटें मिल सकती हैं, जबकि तीसरे के लिए भाजपा और कांग्रेस में खींचतान होगी।

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