मध्य प्रदेश के कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौड़ द्वारा दायर एक आरटीआई याचिका के जवाब के अनुसार, रेलवे बोर्ड ने कहा कि 2022-2023 में कुल 1.76 करोड़ पैसेंजर नेम रिकॉर्ड (पीएनआर) नंबर थे, जिसके मुकाबले 2.72 करोड़ यात्रियों को आना था। प्रतीक्षा सूची में होने के कारण यात्रा स्वत: रद्द हो गई। 2021-2022 में, कुल 1.06 करोड़ पीएनआर नंबर, जिनमें से 1.65 करोड़ यात्रियों को यात्रा करनी थी, स्वचालित रूप से रद्द कर दिए गए थे।
पीएनआर रद्द होने के बाद यात्रियों को टिकट का किराया वापस कर दिया जाता है। यात्रियों को कन्फर्म टिकट उपलब्ध कराने में असमर्थता राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के साथ बार-बार होने वाली समस्या रही है।
2014-15 में रद्द किए गए पीएनआर की संख्या 1.13 करोड़ थी और 2015-2016 में यह 81.05 लाख थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2016-2017 में यह 72.13 लाख, 2017-18 में 73 लाख और 2018-2019 में यह संख्या 68.97 लाख थी। वर्ष 2020-21 में प्रतीक्षा सूची में शेष रहने के कारण स्वत: निरस्त पीएनआर की कुल संख्या 38.89 लाख रही और इन पीएनआर पर 61 लाख यात्रियों की बुकिंग हुई।
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