अब तक दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं थे और न ही फीस वृद्धि को नियंत्रित करने वाला कोई कानून था। इस फैसले ने राजधानी के अभिभावकों को बड़ी राहत दी है, जो सालों से फीस में मनमानी बढ़ोतरी से परेशान थे।
क्या बोलीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता?
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा,
"स्कूल प्रशासन द्वारा की जा रही गतिविधियों से बच्चों और उनके अभिभावकों में डर का माहौल था। हमने इस मुद्दे का गहराई से अध्ययन किया और निर्णायक कदम उठाए। 1973 से लेकर अब तक किसी भी सरकार ने इस विषय पर कोई ठोस प्रयास नहीं किया था।"
उन्होंने आगे कहा,
"दिल्ली सरकार ने आज एक ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय लिया है। कैबिनेट ने आज जिस ड्राफ्ट बिल को पास किया है, वह दिल्ली के सभी 1,677 स्कूलों — सहायता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों — के लिए फीस संबंधी व्यापक दिशानिर्देश और प्रक्रियाएं तय करेगा। यह पहली बार है जब सरकार ऐसा ठोस कानून बना रही है, जो पूरी तरह फुलप्रूफ होगा।"
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