बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा चुनावों के दौरान उपयोग किए गए पार्टी के 'अच्छे दिन' के नारे से छुटकारा पाते हुए कहा कि 'यह हमारे गले में फंसी हड्डी है|' मुंबई में उद्योग जगत के एक प्रोग्राम के दौरान जब गडकरी से देश की स्तिथि के बारे में पूछा गया कि अच्छे दिन कब आएंगे, तो गडकरी ने कहा कि 'अच्छे दिन कभी नहीं आते|' उन्होंने कहा कि "यह बात असल में मनमोहन सिंह की छेड़ी हुई थी|
प्रवासी भारतीयों के कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि अच्छे दिन आने के लिए इंतजार करना होगा| उसी के जवाब में मोदी जी ने कहा कि हमारी सरकार आएगी, तो अच्छे दिन आएंगे|" गडकरी ने कहा कि यह बात उन्हें पीएम मोदी ने ही बताई| गडकरी ने कहा, हमने केवल 'अच्छे दिन' शब्दों का उपयोग किया और इसे शाब्दिक अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए| इसका मतलब यह समझा जाना चाहिए कि उन्नति हो रही है|
गडकरी ने मीडिया को उनके विवरण को गलत रूप में पेश न करने का सूझाव देते हुए यह भी कहा कि हमारा देश अतृप्त आत्माओं का महासागर है, यहां जिसके पास कुछ है, उसे और चाहिए| वही पूछता है कि अच्छे दिन कब आएंगे? गडकरी ने कहा, "अगर किसी व्यक्ति के पास साइकिल है तो वह मोटरसाइकिल चाहेगा, फिर जब वह मोटरसाइकिल खरीद लेता है तो अगला लक्ष्य कार होती है, इसलिए किसी को कभी यह महसूस नहीं होता कि अच्छे दिन आ गए|"
उल्लेखनीय है कि गत लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने चुनावी कैंपेन का पूरा दबाव इस कैचलाइन पर ही टिका दिया था कि 'अच्छे दिन' आएंगे| केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद ये सवाल बीजेपी के नेताओं से अक्सर पूछे जाने लगे कि अच्छे दिन कब आएंगे?