निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट बुधवार को अपना फैसला सुनाएगा। न्यायमूर्ति सुरेश कैट की पीठ दो बजकर 30 मिनट पर अपना फैसला सुनाएगी। वहीं, दूसरी तरफ जल्द फैसला देने की मांग को लेकर निर्भया के परिजनों ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में आवेदन दाखिल किया। निर्भया के चारों दोषियों (अक्षय सिंह, मुकेश सिंह, विनय कुमार शर्मा और पवन कुमार गुप्ता) को निचली अदालत के बाद दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी फांसी की सजा सुना चुका है।

 

गौरतलब है कि 17 जनवरी को निचली अदालत ने दोषी मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार के खिलाफ एक फरवरी के लिए दूसरी बार डेथ वारंट जारी किया था। दोषियों की याचिका पर 31 जनवरी को डेथ वारंट पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई थी। डेथ वारंट पर रोक लगाने के फैसले को गृह मंत्रलय ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 2 फरवरी को याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोषी कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं।

 

वहीं, दोषी मुकेश की तरफ से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा कि गृह मंत्रालय को याचिका दाखिल करने का अधिकार ही नहीं है क्योंकि वह मामले में पक्षकार नहीं है। उन्होंने दलील दी थी कि सभी दोषियों की कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक फांसी की कार्रवाई न की जाए और सभी को कानूनी प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति दी जाए।


संसद में भी फांसी में देरी का मुद्दा
दिल्ली विधानसभा चुनावों में मचे घमासान की गूंज मंगलवार को संसद में भी सुनने को मिली। राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सदस्य संजय सिंह ने निर्भया के दोषियों की फांसी में देरी का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की और दोषियों को तत्काल फांसी देने की मांग की।

 

इस पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने पलटवार किया और कहा कि फांसी में देरी के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। जेल प्रशासन उसके अधीन है जिसने इस मामले को लटका रखा है। राज्यसभा में मंगलवार को जब यह मुद्दा उठाया गया था, उसी समय सभापति वेंकैया नायडू ने साफ किया कि इसे विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए। यह बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दा है। देश भर के लोगों ने इसे लेकर आंदोलन किया है। फांसी में किसकी वजह से देरी हुई, इसके कारणों में वह नहीं जाना चाहते है, लेकिन जो भी इससे संबंधित लोग हैं, उन्हें अपने दायित्व को सही समय पर निभाना बहुत जरूरी है।


राज्यसभा में जब यह मुद्दा उठाया गया, तो सदन के ज्यादातर सदस्यों ने दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग का समर्थन किया। खास बात यह है कि निर्भया के दोषियों की अब तक दो बार फांसी की तारीखें टाली जा चुकी हैं। अंतिम बार इन्हें एक फरवरी को फांसी की सजा दी जानी थी, लेकिन बाद में इस तारीख को टाल दिया गया।

दिसंबर 2012 में चलती हुई बस में किया था दुष्कर्म
16 दिसंबर 2012 को वसंत विहार इलाके में चलती बस में युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की सजा को बरकरार रखा था। जबकि एक आरोपित ने जेल के अंदर खुदकशी कर ली थी।

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