
भारत के आयकर विभाग ने टैक्सपेयर्स को एक और मौका देने के लिए ITR-U (Updated Income Tax Return) की सुविधा शुरू की है। इसका उद्देश्य लोगों को स्वेच्छा से टैक्स कानूनों का पालन करने के लिए प्रेरित करना और जांच व मुकदमों की संख्या को कम करना है।
ITR-U क्या है?
ITR-U यानी Updated Income Tax Return, जो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139(8A) के अंतर्गत फॉर्म ITR-U के माध्यम से दाखिल किया जाता है।
कौन कर सकता है ITR-U फाइल?
कोई भी करदाता — व्यक्ति, HUF, फर्म, कंपनी या अन्य संस्था — ITR-U फाइल कर सकता है यदि:
उसने मूल या विलंबित समयसीमा में रिटर्न दाखिल नहीं किया हो।
पहले दाखिल किए गए रिटर्न में आय कम दिखाई हो या गलती हुई हो।
पहले की गई चूक या गलतियों को ठीक करना चाहता हो।
उस असेसमेंट वर्ष के लिए कोई जांच, सर्वे या सर्च कार्यवाही लंबित न हो।
कब नहीं कर सकते ITR-U फाइल?
टैक्स कम दिखाने या नुकसान (loss) को क्लेम करने के लिए।
अगर रिटर्न पहले से ही जांच या ऑडिट में है।
अगर टैक्सपेयर्स रिफंड क्लेम करना चाहते हैं।
ITR-U फाइल करने की समयसीमा:
किसी वित्तीय वर्ष के लिए आकलन वर्ष समाप्त होने के 24 महीनों के भीतर ITR-U दाखिल किया जा सकता है।
उदाहरण:
FY 2022–23 (AY 2023–24): 31 मार्च 2026 तक
FY 2023–24 (AY 2024–25): 31 मार्च 2027 तक
FY 2024–25 (AY 2025–26): 1 अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2028 तक
अतिरिक्त टैक्स देनदारी (Additional Tax Liability):
यदि 12 महीनों के भीतर ITR-U फाइल किया जाए:
➤ अतिरिक्त टैक्स = देय टैक्स और ब्याज का 25%यदि 12 से 24 महीनों के बीच फाइल किया जाए:
➤ अतिरिक्त टैक्स = देय टैक्स और ब्याज का 50%अन्य पेनल्टी:
➤ धारा 234F के तहत देर से फाइलिंग शुल्क (₹1,000 से ₹5,000 तक)
➤ धारा 234A, 234B और 234C के तहत ब्याज भी लागू हो सकता है।
निष्कर्ष:
ITR-U एक उपयोगी मौका है उन टैक्सपेयर्स के लिए जो पहले गलती से या जानबूझकर अपना आयकर रिटर्न सही ढंग से दाखिल नहीं कर पाए। यह स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देता है और भविष्य में कानूनी कार्रवाई से बचाता है।