जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को उनके घरों में शिफ्ट किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक इस सप्ताह के अंत तक दोनों नेताओं को उनके घरों में भेज दिया जाएगा. हालांकि सूत्रों ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि जम्मू-कश्मीर के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को हिरासत में रखा जाएगा या नहीं. दरअसल, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से दोनों नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था.

 

इससे पहले गुरुवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के महासचिव अली मोहम्मद सागर, पूर्व एनसी एमएलसी बशीर वीरी और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी नेता सरताज मदनी (महबूबा मुफ्ती के मामा) को एमएलए हॉस्टल, श्रीनगर से रिहा कर दिया गया. हालांकि इसके तुरंत बाद ही उन पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) लगा दिया गया.

 

इस बीच बुधवार को एमएलए हॉस्टल से दो नेताओं को रिहा किया गया, जिनमें पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सजाद लोन, पीडीपी नेता वहीद पारा शामिल हैं, जबकि एनसीपी के वरिष्ठ नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के सरताज मदनी को एमएलए हॉस्टल से नए सरकारी आवास में स्थानांतरित कर दिया गया.

 

रविवार को चार और नेताओं को श्रीनगर स्थित एमएलए हॉस्टल से नजरबंदी से रिहा कर दिया गया. ये नेता जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 रद्द होने के बाद और दो केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद पांच अगस्त से नजरबंद थे. रिहा किए गए नेता नेशनल कॉन्फ्रेंस से हैं, जिनमें अब्दुल मजीद लारमी, गुलाम नबी भट्ट, मुहम्मद शाफी और मुहम्मद युसूफ भट्ट शामिल हैं.

 

इन चार नेताओं की रिहाई के साथ नजरबंदी में रह रहे घाटी के नेताओं की संख्या 17 रह गई थी जिनमें तीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं. फारूक अब्दुल्ला को उनके श्रीनगर स्थित गुपकर रोड स्थित आवास में ही नजरबंद किया गया है. उमर अब्दुल्ला हरि निवास और महबूबा मुफ्ती को मौलाना आजाद रेजीडेंसी रोड स्थित सरकारी भवन में नजरबंद में रखा गया है. एमएलए हॉस्टल से 16 जनवरी को पांच मुख्यधारा के नेताओं को रिहा किया गया था.

 

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