इसकी अनुमानित कीमत 10,000 से 15,000 पाउंड के बीच रहने की उम्मीद है।
माना जाता है कि उन चश्मों को महात्मा गांधी ने पहना था और उन्होंने 1900 के दशक में तोहफे के तौर पर दिया था।
दक्षिण-पश्चिमी इंग्लैंड के उपनगर हनहम स्थित कंपनी ''ईस्ट ब्रिस्टल ऑक्शंस'' ने रविवार (9 अगस्त) को कहा कि वह इस बात को जानकर बेहद आश्चर्यचकित थे कि जो चश्मे उनकी डाकपेटी में एक लिफाफे में रखकर डाले गए थे, उनके पीछे एक ऐसा शानदार इतिहास हो सकता है।
नीलामी कंपनी के एंडी स्टोव ने कहा, ''इसका बड़ा ऐतिहासिक महत्व है। विक्रेता ने इसे दिलचस्प तो माना, लेकिन इसकी कोई कीमत नहीं बताई। यहां तक कि विक्रेता ने मुझसे कहा कि अगर यह कीमती नहीं हैं तो इन्हें नष्ट कर दें।'' उन्होंने कहा, ''जब हमने उन्हें इसकी कीमत बताई, तो वह अचंभे में पड़ गए। यह नीलामी से संबंधित वाकई एक शानदार कहानी है।'' इन चश्मों के लिए पहले ही 6,000 पाउंड की ऑनलाइन बोली लगाई जा चुकी है।
इंग्लैंड के इस अज्ञात बुजुर्ग विक्रेता के परिवार के पास ये चश्मे थे। विक्रेता के पिता ने उन्हें बताया था कि ये चश्मे उनके चाचा को महात्मा गांधी ने उस वक्त तोहफे के तौर पर दिए थे, जब वह 1910 से 1930 के बीच दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश पेट्रोलियम में काम करते थे। ''महात्मा गांधी के निजी चश्मे का जोड़ा'' के शीर्षक से 21 अगस्त को आयोजित होने वाली इस ऑनलाइन नीलामी ने पहले ही लोगों को खासा आकर्षित किया है। भारत के लोगों ने भी इसमें विशेष रुचि दिखाई है।
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