बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक व्यक्ति को तलाक देने से इनकार कर दिया, जिसने अपनी पत्नी और उसके परिवार पर शादी के समय जन्म की गलत तारीख बताकर उसे ठगने का आरोप लगाया था। इस शख्स के मुताबिक पत्नी की जन्मतिथि को इस तरह बदल दिया गया था कि कुंडली में वो मांगलिक दिखे।
पति ने पहली बार पारिवारिक अदालत में तलाक के लिए अर्जी दी थी, जिसे भी खारिज कर दिया था। फिर उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील दायर की।
न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर और एनबी सूर्यवंशी की पीठ ने कहा कि पत्नी का गैर-मांगलिक होना या जन्म तिथि अलग होना क्रूरता का कोई मामला नहीं है।
पीठ ने कहा, "भले ही यह माना जाए कि जन्म की तारीख के संबंध में गलत बयानी थी जो अपीलकर्ता [पति] और प्रतिवादी [पत्नी] के बीच वैवाहिक संबंधों को प्रभावित नहीं करती है।"

HC ने यह भी देखा कि अपीलकर्ता यह साबित करने में विफल रहा कि वह मांगलिक था।

पत्नी ने यह कहते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया कि विवाह के निपटारे के समय कुंडली का आदान-प्रदान नहीं किया गया था। उसने अपने जन्म की तारीख और पति के परिवार के लिए योग्यता के बारे में गलत जानकारी देने से भी इनकार किया।

उसने दावा किया कि उसके पति और उसकी माँ ने शारीरिक रूप से उसके साथ मारपीट की और उसके जीवन के लिए खतरे को देखते हुए, उसे उसके वैवाहिक घर छोड़ने के लिए विवश किया गया। उसने पारिवारिक अदालत के समक्ष यह भी कहा था कि वह पति के साथ सहवास करने के लिए तैयार थी और तलाक की याचिका को खारिज करने के लिए प्रार्थना की।

మరింత సమాచారం తెలుసుకోండి: