रेहान और तौसीफ को पुलिस ने वारदात के दिन ही काबू कर लिया था। इसके बाद रिमांड पर लेकर सबूत जुटाए गए और कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। जेल जाने के करीब 15 दिन बाद तौसीफ के पिता जाकिर हुसैन व मां असमीना और रेहान से उसके पिता शहाबुदीन मिलने पंहुचे। इसके बाद कोविड नियमों के तहत बाहर के लोगों पर जेल में बंदियों से मिलने पर रोक लगा दी गई।
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद लोग आक्रोश में थे। मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चली। निकिता को 26 अक्तूबर को गोली मार दी गई थी। वारदात को 26 मार्च को पूरे पांच माह पूरे हो जाएंगे। न्यायाधीश सरताज बसवाना मामले में 26 मार्च को ही फैसला सुनाएंगे। लागातार सुनवाई में 57 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। इसमें घटना के चश्मदीद निकिता के चचेरे भाई तरुण तोमर और सहेली निकिता शर्मा भी शामिल थी।
सोहना रोड स्थित अपना घर सोसायटी निवासी निकिता तोमर अग्रवाल कॉलेज में बीकॉम फाइनल ईयर की छात्रा थी। 26 अक्तूबर 2020 को हत्या की वारदात कॉलेज बाहर लगे सीसीटीवी में कैद हो गई। वारदात का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। इसके बाद मामले में लगातार फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की मांग उठी थी।
लोगों में आक्रोश को देखते हुए गृहमंत्री अनिल विज ने इसकी जांच एसआईटी को सौंप दी थी। एसआईटी की टीम ने पांच घंटे के अंदर मुख्य हत्यारोपी तौसीफ को सोहना से गिरफ्तार कर लिया। उसके साथी रेहान और हथियार उपलब्ध कराने वाले अजहरुद्दीन को भी पुलिस ने पकड़ा। इसमें एसआईटी ने सभी तथ्यों को एकत्रित करके महज 11 दिन में ही 700 पेज की चार्जशीट तैयार करके छह नवंबर को कोर्ट में दाखिल कर दी। चार्जशीट में निकिता की सहेली समेत कुल 60 गवाह बनाए गए थे।
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