जयपुर। राजस्थान के कोटा में ही नहीं जोधपुर में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है। बेहतर इलाज और सुविधाओं के अभाव में डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज में महीनेभर में 102 नवजात समेत 146 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कोटा में 107 और बूंदी में 10 मासूम जिंदगी की जंग हार चुके हैं। जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है। मेडिकल कॉलेज के अधिकारी इन मौतों को सामान्य बता रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री गहलोत जोधपुर में बच्चों की मौत के सवाल को अनसुना कर गए।

 

जोधपुर के अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार अकेले दिसंबर, 2019 में 146 बच्चों की मौत रिकॉर्ड हुई है। राजस्थान के जोधपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग ने पिछले महीने हर दिन लगभग पांच बच्चों की मौत दर्ज की गई। कोटा में शिशुओं की मौत के बाद मेडिकल कॉलेज द्वारा तैयार रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।


मेडिकल कॉलेज मथुरा दास माथुर अस्पताल और उमेद अस्पताल में बाल रोग विभाग संचालित करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के मरने की संख्या इसलिए ज्यादा है क्योंकि सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। अकेले 2019 में 754 बच्चों की मौत हुई है यानी हर महीने औसतन 63 बच्चों ने दम तोड़ा। हालांकि अचानक दिसंबर में बच्चों की मौत का आंकड़ा 146 तक बढ़ गया है।

सबसे ज्यादा मौतें नियोनेटल केयर यूनिट (एनआईसीयू) और बाल चिकित्सा आईसीयू (पीआईसीयू) में हुईं। 2019 में बाल रोग विभाग में भर्ती बच्चों की कुल संख्या 47,815 थी। गंभीर मामलों वाले 5,634 नवजात शिशुओं को एनआईसीयू और पीआईसीयू में भर्ती कराया गया था, जिनमें से 754 मामलों (कुल का 13 प्रतिशत) की मृत्यु हो गई। नई रिपोर्ट में कोटा घटना को लेकर रोष बढ़ने की आशंका है, जहां दिसंबर तक सरकारी अस्पताल जेके लोन में 107 बच्चों की मौत हुई है।

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