तिरुवनतंपुरम। हार को मौका दिए बिना कोशिश जारी रखनी चाहिए और मेहनत ही हमारी जरूरतों को पूरा करती है। ये कहना है देश की पहली दिव्यांग महिला आईएएस अधिकारी प्रांजल पाटिल (30) का। सोमवार को उन्होंने तिरुवनंतपुरम के सब-कलेक्टर और रेवेन्यू डिवीजनल ऑफिसर के रूप में कार्यभार संभाला। छह साल की उम्र में आंखों की रोशनी खो चुकी प्रांजल ने जीवन में शिखर पर पहुंचने की उम्मीद नहीं छोड़ी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने 2016 में हुई यूपीपीएससी परीक्षा में भाग लेकर 773वां रैंक हासिल की।
इस पर उन्हें भारतीय रेलवे एकाउंट्स सर्विस (आईआरएएस) में नौकरी मिली। परंतु उनके दिव्यांग (नेत्रहीन) होने का पता चलने पर उन्हें नौकरी देने से इनकार कर दिया गया। इसके बावजूद प्रांजल ने हिम्मत नहीं हारी और उसके अगले वर्ष हुई यूपीपीएससी की परीक्षा लिखकर 124वां रैंक हासिल की।
इससे उन्होंने आईएएस के लिए सेलेक्ट होकर प्रशिक्षण के तहत एर्नाकुलम की सहायक कलेक्टर के रूप में काम किया। उन्होंने बताया कि रेलवे में नौकरी छीने जाने से उन्हें बहुत दुख हुआ। यही नहीं, आंखों का ऑपरेशन फेल होने से भी उन्हें काफी तकलीफ हुई। तिरुवनंतपुर में प्रांजल के पदभार ग्रहण कार्यक्रम में सामाजिक विधि विभाग के सचिव बीजू प्रभाकर ने हिस्सा लिया।
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