नयी दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर से शनिवार को केंद्र की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि देश के  आर्थिक हालात ठीक नहीं है। अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते केंद्र सरकार दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुकी है। कई क्षेत्रों में मांग न होने के चलते अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। 

 

अटल सरकार में वित्तमंत्री रहे सिन्हा ने कहा कि सरकार अपना सारा फंड इस्तेमाल कर चुकी है अब उसके पास फंड नहीं है और वह दिवालिया होने की कगार पर है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आने वाला बजट काफी महत्वपूर्ण होगा। शनिवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (एनआरसी) का विरोध कर रही ‘गांधी शांति यात्रा’ अहमदाबाद पहुंची। 

यात्रा में शामिल सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार, गिरती अर्थव्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए नागरिकता कानून लेकर आई है। यह सरकार अर्थव्यवस्था से संबंधित समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है और आंकड़ों से छेड़छाड़ कर यह दिखाने की कोशिश की सब ठीक है। लेकिन आंकड़ों से हमेशा हेराफेरी नहीं की जा सकती। सरकार अब इस बात को मान रही है और कह रही है कि वह इससे निपटने के लिए कदम उठा रहे हैं।  

सिन्हा ने दावा किया कि वित्त मंत्रालय ने सभी विभागों को आवंटित किए गए बजट का 33 के बजाए 25 फीसदी इस्तेमाल करने को कहा है। निजी निवेशक निवेश नहीं कर रहे हैं। बैंकों का एनपीए कम होने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है। साल 2016 की नोटबंदी का असर ग्रामीण क्षेत्रों से शुरू होकर शहरी क्षेत्रों तक पहुंचा जिसके चलते मांग में गिरावट हुई जिसका असर अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र पर पड़ रहा है और यह सुस्त हो रही है।

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