वे 16 के समूह के रूप में स्थापित हुए, और रास्ते में 17 बन गए। एक प्रवासी मजदूर की पत्नी शकुंतला ने गर्भावस्था के नौवें महीने में नासिक से सतना तक 1,000 किमी पैदल दूरी तय करने का फैसला किया। 5 मई को, उसने सड़क किनारे एक बच्चे को जन्म दिया, एक घंटे तक आराम किया ... और फिर पैदल यात्रा पर निकल पड़ी।
एमपी-महाराष्ट्र के बिजासन बॉर्डर पर नवजात बच्चे के साथ पहुंची महिला मजदूर की कहानी रुह कंपाने देने वाली है। बच्चे के जन्म के 1 घंटे बाद ही उसे गोद में लेकर महिला 160 किलोमीटर तक पैदल चल बिजासन बार्डर पर पहुंची।
दरअसल, 5 दिन के बच्चे को गोद में लेकर बैठी महिला का नाम शकुंतला है। वह अपने पति के साथ नासिक में रहती थी। प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में वह अपने पति के साथ नासिक से सतना के लिए पैदल निकली। नासिक से सतना की दूरी करीब 1 हजार किलोमीटर है। वह बिजासन बॉर्डर से 160 किलोमीटर पहले 5 मई को सड़क किनारे ही बच्चे को जन्म दिया।
शनिवार को शकुंतला बिजासन बॉर्डर पर पहुंची। उसके गोद में नवजात बच्चे को देख चेक-पोस्ट की इंचार्ज कविता कनेश उसके पास जांच के लिए पहुंची। उन्हें लगा कि महिला को मदद की जरूरत है। उसके बाद उससे बात की, तो कहने को कुछ शब्द नहीं थे। महिला 70 किलोमीटर चलने के बाद रास्ते में मुंबई-आगरा हाइवे पर बच्चे को जन्म दिया था। इसमें 4 महिला साथियों ने मदद की थी।
शकुंतला की बातों को सुनकर पुलिस टीम अवाक रह गई। महिला ने बताया कि वह बच्चे को जन्म देने तक 70 किलोमीटर पैदल चली थी। जन्म के बाद 1 घंटे सड़क किनारे ही रुकी और पैदल चलने लगी। बच्चे के जन्म के बाद वह बिजासन बॉर्डर तक पहुंचने के लिए 160 किलोमीटर पैदल चली है।
शकुंतला के पति राकेश कौल ने कहा कि यात्रा बेहद कठिन थी, लेकिन रास्ते में हमने दयालुता भी देखी। एक सिख परिवार ने धुले में नवजात बच्चे के लिए कपड़े और आवश्यक सामान दिए। राकेश कौल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से नासिक में उद्योग धंधे बंद हैं, इस वजह से नौकरी चली गई।
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