14 अक्टूबर को, अदालत ने रे को दोषी पाया था और 26 अक्टूबर (आज) को सजा के लिए सजा की मात्रा पर फैसला सुरक्षित रखा था।
रे 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान कोयला राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे और यह मामला झारखंड के गिरिडीह में परित्यक्त ब्रह्मडीह कोयला ब्लॉक का 105.153 हेक्टेयर भूमि आवंटन से संबंधित है।
हालांकि, सीबीआई कोर्ट ने दिलीप रे समेत सभी तीनों दोषियों को एक-एक लाख रुपये के बांड पर जमानत दे दी. इसके साथ ही फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील के लिए 25 नवंबर तक की मोहलत दी गई है.
गौरतलब है कि बीते दिनों ही विशेष अदालत ने कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में दिलीप रे को दोषी करार दिया था. उनका ये मामला 1999 में झारखंड कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितता से जुड़ा है. विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने दिलीप रे को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी पाया, जबकि अन्य को धोखाधड़ी और साजिश रचने का दोषी पाया गया.
सीबीआई की विशेष अदालत ने दिलीप रे के अलावा कोयला मंत्रालय के तत्कालीन दो वरिष्ठ अधिकारी, प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्या नंद गौतम, कैस्ट्रोन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (सीटीएल), इसके निदेशक महेंद्र कुमार अग्रवाल और कैस्ट्रॉन माइनिंग लिमिटेड (सीएमएल) को भी दोषी ठहराया था. कोर्ट ने सीटीएल पर 60 लाख तो सीएमएल पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.