इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को मथुरा की एक अदालत को एक आवेदन पर चार महीने के भीतर आदेश पारित करने का निर्देश दिया की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा कृष्णा जन्मभूमि और शाही ईदगाह का सर्वेक्षण किया जाये या नहीं। न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने भगवान श्री कृष्ण विराजमान और एक अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। अदालत ने चार महीने के भीतर आवेदन पर फैसला करने के निर्देश के साथ याचिका का निस्तारण कर दिया।

अर्जी में दावा किया गया था कि विवादित परिसर पहले एक मंदिर था और शाही ईदगाह को तोड़कर बनाया गया था। कंस ने कृष्ण के माता-पिता को द्वापर युग में कैद कर लिया था जहां अब मस्जिद है। आवेदन का दावा है कि यह कृष्ण का जन्मस्थान है। कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के लिए प्रार्थना के साथ मथुरा अदालत के समक्ष दायर आवेदन के शीघ्र निपटान की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।

इससे पहले मई के महीने में मथुरा की अदालत में एक मुकदमा दायर किया गया, जिसमें वकील ने दावा किया कि आगरा किले में दीवान-ए-खास के पास एक मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे देवता ठाकुर केशव देव की मूर्ति दफन है। इसके अलावा, उन्होंने प्रार्थना की थी कि एक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए और मूर्ति को पुनः प्राप्त किया जाना चाहिए।

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