शाहीन बाग प्रदर्शन के दौरान चार माह के बच्चे की मौत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सोमवार को सुनवाई की. CJI एस ए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की और पूछा कि क्या चार महीने का बच्चा प्रदर्शन करने गया था? बता दें, बहादुरी पुरस्कार से अलंकृत छात्रा ज़ेन गुणरत्न सदावर्ते की चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. छात्रा ने पत्र याचिका में कहा है कि इस तरह के धरने प्रदर्शन में बच्चों को शामिल न किया जाए इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट गाइड लाइन बनाए. कहा गया कि इस तरह धरने आदि में बच्चों को ले जाना उन पर अत्याचार है. छात्रा ने बच्चे की मौत के मामले में जांच की मांग भी की है.

 

 


केंद्र सरकार ने इस पर कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. सीजेआई ने कहा कि हम ये जानना चाहते हैं कि क्या चार महीने का बच्चा धरने में जा सकता है? वहीं, शाहीन बाग की तीन महिलाओं ने भी खुद के पक्ष को रखने की मांग की. कहा कि उनके बच्चे को स्कूल में पाकिस्तानी कहा जाता है. इस पर CJI जस्टिस बोबड़े ने कहा कि किसी बच्चे को स्कूल में पाकिस्तानी कहा गया ये कोर्ट के समक्ष विषय नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. 

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