
प्रमुख आरोप और खुलासे:
🔹 बड़ी लागत वृद्धि:
ACB के अनुसार, 12,748 क्लासरूम और संबंधित भवनों के निर्माण में 2,892 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि औसतन एक क्लासरूम की लागत 24.86 लाख रुपये रही। आमतौर पर दिल्ली में ऐसा एक क्लासरूम मात्र 5 लाख रुपये में तैयार किया जा सकता है।
🔹 अस्थायी संरचनाओं में आरसीसी लागत:
सरकार ने सेमी-पर्मानेंट स्ट्रक्चर (SPS) बनाए जो 30 साल तक टिकते हैं, लेकिन इनके निर्माण में रीइन्फोर्स्ड सीमेंट कंक्रीट (RCC) जैसी 75 वर्षों तक टिकने वाली संरचनाओं के बराबर लागत खर्च की गई। ACB का कहना है कि SPS के उपयोग का कोई आर्थिक लाभ नहीं मिला।
🔹 AAP से जुड़े ठेकेदार:
क्लासरूम निर्माण के ठेके उन फर्मों को दिए गए जो कथित रूप से आप से जुड़ी थीं। इससे हितों के टकराव और राजनीतिक संरक्षकता को लेकर सवाल उठे हैं।
🔹 प्रक्रियात्मक गड़बड़ियाँ और देरी:
कोई भी कार्य समय पर पूरा नहीं हुआ। परामर्शदाता और वास्तुकारों की नियुक्ति बिना उचित प्रक्रिया के की गई। इन्हीं के माध्यम से परियोजना लागत में अनावश्यक बढ़ोतरी की गई।
🔹 CVC रिपोर्ट दबाई गई:
केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के मुख्य तकनीकी परीक्षक की रिपोर्ट में परियोजना में गंभीर गड़बड़ियाँ उजागर की गई थीं, लेकिन इस रिपोर्ट को लगभग तीन वर्षों तक दबाकर रखा गया।
शिकायतकर्ता और राजनीतिक पक्ष:
यह मामला BJP नेताओं — हरीश खुराना, कपिल मिश्रा और नीलकंठ बक्शी की शिकायतों के बाद शुरू हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि क्लासरूम निर्माण में भारी भ्रष्टाचार और लागत का अनावश्यक बढ़ावा हुआ है।
कानूनी और राजनीतिक असर:
मनीष सिसोदिया पहले से ही आबकारी नीति घोटाले में हिरासत में हैं, जबकि सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच चल रही है। इस नए घोटाले के खुलासे के बाद भाजपा ने AAP पर शिक्षा मॉडल को लेकर तीखा हमला बोला है और सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की गहन जांच की मांग की है।