रिपोर्ट के अनुसार Koo ने यह घोषणा नाइजीरिया की संघीय सरकार द्वारा Twitter बैन करने के एक दिन बाद की। Koo के सीईओ अपरामेय राधेकृष्णा ने केवल ऐप की सेवाएं नाइजीरिया में उपलब्ध होने की पुष्टि की बल्कि ये भी कहा कि यह एप जल्द ही नाइजीरिया की स्थानीय भाषा में भी उपलब्ध कराए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। नाइजीरिया में हौसा, लग्बो और योरूबा जैसी 500 प्रकार की स्थानीय भाषाएं बोली जाती हैं।
Twitter के नाइजीरिया में बैन होने के बाद यूजर्स ने वीपीएन सर्विस का रुख किया ताकि सरकार द्वारा लागू किए बैन को लांघ कर Twitter का उपयोग किया जा सके। अब यूजर्स के पास कू का विकल्प भी आ गया है। हालांकि अभी देखना बाकी है कि इस भारतीय ऐप को नाइजीरिया में कितने यूजर्स अपनाते हैं।
Koo एप एक माइक्रोब्लॉगिंग साइट है जहां पर यूजर्स 400 कैरेक्टर्स में अपनी बात को रख सकते हैं। जबकि Twitter पर 250 शब्दों की सीमा है। कू पर शेयर किए जाने वाले पोस्ट को कू नाम दिया गया है, जैसे Twitter के पोस्ट को ट्वीट कहा जाता है। कू ऐप पर भारतीय भाषाओं में लिखने का विकल्प है। इसके अलावा ऑडियो और वीडियो में भी यूजर्स अपनी बात को शेयर कर सकते हैं।
यदि कोई यूजर भारतीय भाषा लिखने की जानकारी नहीं रखता है तो वह इंग्लिश टाइप मोड में जाकर भारतीय भाषा टाइप कर सकता है। इस एप में एक अनोखा फीचर है कि यूजर अपने दोस्तों को अपने "कू" को व्हाट्सप्प और फेसबुक पर सीधे शेयर कर सकते हैं। ट्विटर पर यह सुविधा नहीं है। कू को व्हाट्सप्प के स्टेटस पर भी शेयर किया जा सकता है।
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