
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका के साथ भारत की कोई व्यापार या टैरिफ से जुड़ी चर्चा नहीं हुई। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम का फैसला दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सीधे संवाद से हुआ था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा,
"भारत की स्थिति इस मुद्दे पर पहले से ही स्पष्ट है। 7 मई से लेकर 10 मई तक जब ऑपरेशन सिंदूर चला, उस दौरान भारत और अमेरिका के बीच सैन्य हालात को लेकर बातचीत हुई, लेकिन टैरिफ या व्यापार का कोई मुद्दा कभी उठाया ही नहीं गया।"
यह बयान उस वक्त आया है जब अमेरिकी ट्रंप प्रशासन ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता और व्यापारिक प्रस्ताव के बाद ही संभव हुआ।
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने अदालत को बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान दोनों को अमेरिका के साथ व्यापारिक पहुंच की पेशकश की थी ताकि पूर्ण युद्ध को रोका जा सके।
उन्होंने कहा,
"इस संघर्षविराम तक पहुंचने में राष्ट्रपति ट्रंप की भूमिका अहम थी। अगर अदालत राष्ट्रपति की शक्तियों को सीमित करती है, तो इससे भारत और पाकिस्तान ट्रंप के प्रस्ताव पर संदेह कर सकते हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल देगा।"
हालांकि भारत ने इन दावों को खारिज कर दिया है और कहा है कि संघर्षविराम पूरी तरह भारत-पाक के सैन्य अधिकारियों के संवाद के जरिये हुआ, न कि किसी अमेरिकी दबाव या प्रस्ताव के तहत।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ढांचे को नष्ट करना था।