'सोशल मीडिया' - आज के इस आधुनिक और सामाजिक दौर में कोई इससे अछूता नहीं रहा है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि आपके लिए सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा सक्रिय होना कितना हानिकारक साबित हो सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जो नौकरी की तलाश में हैं और एक विशेष विचारधारा भी रखते हैं। इसके बारे में हम आपको आगे बता रहे हैं कि कैसे आपका एक पोस्ट आपको नौकरी मिलने में बाधा बन सकता है।
हम अपनी अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का सोशल मीडिया पर खूब गुण-गान करते हैं और जाने-अनजाने ऐसे पोस्ट करते हैं जो समाज में अक्सर विवादों को जन्म देते हैं। ऐसे लोगों की गिनती झगड़ालू और असहयोगी में की जाने लगी है। अगर आप भी इन लोगों में से एक हैं तो समय आ गया है सावधानी बरतने का क्योंकि मात्र एक विवादित पोस्ट ही आपको नौकरी दिलाने की रेस में पीछे कर सकता है।
सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के चलते अब कंपनियां इस बात पर गौर करती हैं कि सोशल मीडिया के कारण कंपनी की इमेज पर कोई नकारात्मक प्रभाव तो नहीं पड़ रहा। इसके लिए कंपनी उम्मीदवारों की सोशल मीडिया प्रोफाइल चेक करती हैं कि वो कुछ विवादित तो पोस्ट नहीं करते। हम सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपने पोस्ट के जरिये निजी विचारधारा रखते हैं, लेकिन अब ये बातें कॉरपोरेट सेक्टर में लाजमी नहीं मानी जाती।
नौकरी पाने के लिए सबसे पहले रिज्यूमे बनता है जिसमें उम्मीदवार की योग्यता से संबंधित जानकारी होती है। लेकिन सोशल मीडिया के दौर में केवल रिज्यूमे में दी गई जानकारी ही काफी नहीं। बल्कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर किए गए पोस्ट्स से निजी जानकारी भी मिल जाती है। जैसे - उम्मीदवार की विचारधारा, उनका लाइफस्टाइल, पसंद-नापसंद और अन्य संबंधित जानकारी।
ऐसा करना इसलिए भी ठीक है क्योंकि हम सोशल मीडिया पर अक्सर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर हुई बयानबाजी देखते रहते हैं। इसी के चलते अब कंपनियां सोशल मीडिया को लेकर दिशानिर्देश तैयार कर रहीं हैं।
हालांकि अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में सोशल मीडिया को लेकर पहले से ही दिशानिर्देश बने हुए हैं। उम्मीदवार का मुख्य चयन पद की योग्यता के आधार पर ही किया जाता है। लेकिन सोशल मीडिया का सहारा इसलिए लिया जाता है ताकि कोई विवादास्पद उम्मीदवार कंपनी में न आ जाए। उससे कंपनी की गुडविल को कोई खतरा न हो जाए।
ऐसा ही एक शोध सामने आया है जो बताता है कि सोशल मीडिया पोस्ट का प्रभाव नई जॉब पर भी पड़ता है।
अमेरिका की पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के माइकल टस ने बताया कि जॉब की तलाश कर रहे लोगों को सोशल मीडिया कर पोस्ट करने से पहले सचेत रहना चाहिए। प्रबंधकों के लिए यह जानना जरूरी होता है कि जिनका वे चयन करने जा रहे हैं, उनमें नकारात्मकता तो नहीं भरी पड़ी है।
टस ने कहा कि सोशल मीडिया साइट अक्सर आत्म-तल्लीनता बढ़ाने का काम करती हैं। जो व्यक्ति अपने आप में ही ज्यादा खोए रहते हैं, उनसे संस्थान को फायदा होने की संभावना न के बराबर होती है, क्योंकि वे लोग अपने में ही गुम रहते हैं।
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