हाल में ज़्यादातर गैर-बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ये एक परेशानी है कि मोदी सरकार उनकी सुनती नहीं है| हर मामले में टालमटोली वाला रवैया अपनाती है| लेकिन हाल का उदाहरण बिहार का है जहां यह लग रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक मांग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार कर लिया है| नीतीश ने केंद्र से अनुरोध किया था कि तुरंत राज्य की नदियों खासकर गंगा नदी में बाढ़ के कारणों और सिल्ट की समस्या के अध्ययन के लिए एक टीम भेजी जाए|
केंद्र की एक चार सदस्यीय टीम बृहस्पतिवार को पटना आ रही है| एके सिंह इस टीम के प्रमुख हैं जो गंगा बाढ़ नियंत्रण बोर्ड के सदस्य हैं| उनके अलावा एसके साहू जो केंद्रीय जल आयोग के चीफ इंजीनियर हैं और आईआईटी दिल्ली के प्रोफसर एके गोसाईं व केंद्रीय आपदा प्रबंध प्राधिकरण के सलाहकार रजनीश रंजन शामिल हैं|
नीतीश कुमार की विनती थी कि जो टीम भेजी जाए उसमें निष्पक्ष विशेषज्ञ रहें| सबसे बड़ी बात यह है कि इस दल को अगले दस दिनों तक गंगा नदी में बाढ़ के कारण का पता लगाने के अलावा फरक्का बैराज के निर्माण के बाद सिल्ट की समस्या पर भी अध्ययन कर रिपोर्ट देने को कहा गया है| नीतीश-मोदी की पिछले सप्ताह मुलाकात के बाद सियासी दुनिया में राजनीतिक कयास भी लगाए गए थे|
लेकिन यह मुलाकात केवल बाढ़ तक सीमित थी ऐसा जानकारों कहना है और इसमें कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई| यह बैठक भी सिर्फ 25 मिनट चली थी| बिहार में बाढ़ से पिछले दस दिनों में 12 ज़िलों के 35 लाख से अधिक लोग ग्रसित हुए हैं और अब तक बाढ़ में राज्य के 175 लोगों की जानें जा चुकी हैं|